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Jagannath Face: आखिर क्यों शीशे में दिखाई देनी बंद हो गई थी भगवान जगन्नाथ की प्रतिबिंब, कहानी है बहुत दिलचस्प

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में चार धाम की यात्रा का बहुत महत्व है. ऐसा माना जाता है कि चार धाम की यात्रा से ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं, और इन चार धामों में से पुरी धाम में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति की कहानी बहुत दिलचस्प और मज़ेदार है. दरअसल जगन्नाथ मंदिर के इतिहास के […]

हिंदू धर्म
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  • Last Updated: February 4, 2024 12:06:16 IST

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में चार धाम की यात्रा का बहुत महत्व है. ऐसा माना जाता है कि चार धाम की यात्रा से ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं, और इन चार धामों में से पुरी धाम में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति की कहानी बहुत दिलचस्प और मज़ेदार है. दरअसल जगन्नाथ मंदिर के इतिहास के बारे में जानें तो एक ऐसा मंदिर है, जहां सभी मंदिरों में भगवान की सुंदर झांकी और मूर्तियां मिलती हैं, तो आइये जानते हैं जगन्नाथ मंदिर का इतिहास दिलचस्प तथ्यों से भरा है. हालांकि इस मंदिर के बारे में कई दिलचस्प कहानियां और रहस्य सामने आए हैं जिन्होंने लोगों को हैरान कर दिया है.

भगवान जगन्नाथ की प्रतिबिंबLord Jagannath Is Sick For15 Days, Know About Lord Jagannath Yatra - Amar  Ujala Hindi News Live - जानिए, क्यों बीमार हुए भगवान जगन्नाथ, कब तक होंगे  ठीक?

बता दें कि आज भी जगन्नाथ पूरी में जब पंडित जगन्नाथ जी को भोग या प्रसाद लगाते हैं, तो उनकी हथेली में जल रखते हैं, और तब उनकी परछाई उस पानी में साफ तौर पर दिखाई देती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ ने भोग स्वीकार कर लिया है. दरअसल 1890 में पूरी के राजा ने जन्माष्टमी के दिन जब प्रसाद के समय जगन्नाथ जी की परछाई नहीं दिखी, तो वहां सभी लोग हैरान हो गए, और ये बात उस समय के राजा तक पहुंची कि भगवान जगन्नाथ खाना नहीं खा रहे हैं, और उस दिन नगर वासियों ने भगवान जगन्नाथ के लिए पूरे दिन अलग-अलग तरह के पकवान बनाकर उनके लिए लेकर आएं, लेकिन इसके बावजूद भगवान जगन्नाथ की परछाई नहीं दिखी, और उसी समय पूरी के राजा ने ये ठान लिया कि बिना इसका कारण जाने बगैर वो भी खाना को नहीं खाएंगे .

सपने में राजा को भगवान जगन्नाथ ने दिया दर्शन

दरअसल मंदिर में भूखे बैठे राजा को आंख लग गई, और जिसके दौरान सपने में राजा को भगवान जगन्नाथ के दर्शन हुए, उनके सपने में भगवान जगन्नाथ ने राजा से कहा कि मैं तो मंदिर में था ही नहीं, मैं अपने एक भक्त की कुटिया में उसके हाथों का बना प्रसाद खाने चला गया था, और जब मैं यहां था ही नहीं तो मेरी परछाई भला आपको कैसे दिखेगी. इसके तुरंत बाद जब पंडितों ने दोबारा भगवान जगन्नाथ को भोग लगाया तो भगवान जगन्नाथ की परछाई स्पष्ट दिखने लगी थी.

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