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महादेव को भूलकर भी अर्पित न करें ये 3 चीजें, पुराणों में भी है वर्जित

नई दिल्ली: हमारे सनातन धर्म में भगवान शिव को देवों का देव यानी कि महादेव कहा जाता है। पुराणों में जो उल्लेख मिलता है उसके मुताबिक स्वभाव बहुत ही भोला है। अगर कोई भीतर से पूरी पवित्रता के साथ भगवान शिव को याद करते हैं तो सबकी मन्नत पूरी करती है। इन्हें प्रसन्न करने के […]

महादेव को भूलकर भी अर्पित न करें ये 3 चीजें, पुराणों में भी है वर्जित
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  • Last Updated: January 25, 2023 21:32:28 IST

नई दिल्ली: हमारे सनातन धर्म में भगवान शिव को देवों का देव यानी कि महादेव कहा जाता है। पुराणों में जो उल्लेख मिलता है उसके मुताबिक स्वभाव बहुत ही भोला है। अगर कोई भीतर से पूरी पवित्रता के साथ भगवान शिव को याद करते हैं तो सबकी मन्नत पूरी करती है। इन्हें प्रसन्न करने के लिए चढ़ाई जाने वाली सामग्री को लेकर पुराणों में कई तरह के उपाय बताए गए हैं। हालांकि 3 चीजें ऐसी हैं जो भोले शंकर को कभी भी नहीं चढ़ानी चाहिए नहीं तो उनकी नाराजगी का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि यह कौन सी सामग्री है।

 

1. कुमकुम या सिंदूर

भगवान शिव (Lord Shiva Remedies) को संसार के मोह-मोह से दूर रहने वाले और सदैव तपस्या में लीन रहने वाले महान तपस्वी यानी बैरागी के रूप में माना गया है। इसलिए कभी भी भूलकर भी शिव जी को सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा करना शिव जी का अपमान माना जाता है और उन्हें क्रोधित भी कर सकता है।

 

2. तुलसी के पत्ते

तुलसी एक पवित्र पौधा है और माना जाता है कि इसमें देवी लक्ष्मी का वास होता है। लेकिन हमें कभी भी भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। ऐसी मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वध किया था। इसलिए तुलसी ने क्रोधित होकर भगवान भोले नाथ को अलौकिक गुणों वाले अपने पत्तों से वंचित कर दिया। और इसका हम सभी को सम्मान करना चाहिए।

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3. हल्दी

हल्दी को शारीरिक स्वास्थ्य और सौंदर्य में सुधार से संबंधित माना जाता है जबकि भगवान शिव इन सभी चीज़ों से कोसों से दूर रहते हैं। इसलिए वे हल्दी को नापसंद करते हैं। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति जाने-अनजाने में भगवान शिव को हल्दी चढ़ाता है तो उसे शुभ फल मिलने की बजाय हानि होने की संभावना अधिक रहती है।

 

4. शंख

पुरानी मान्यताओं के मुताबिक, भगवान शंकर जी ने शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था। यही नहीं, शंख को उस असुर का प्रतीक माना गया है जो भगवान विष्णु जी का भक्त था। यही वजह है कि भगवान विष्णु जी पूजा तो शंख से होती है लेकिन भगवान शंकर जी की पूजा में कभी भी शंख से जल अर्पित नहीं करना चाहिए।

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए इनख़बर किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है.)

 

 

 

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