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Easter Sunday : आज ईस्टर संडे, जानें ईसाई धर्म में इसका महत्व और कैसे मनाया जाता है ये त्योहार

नई दिल्ली: आज 31 मार्च को ईस्टर संडे है. ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए ये दिन खास है. बता दें कि गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद ईसाई धर्म के लोग ईस्टर संडे मनाते हैं. गुड फ्राइडे ईसा मसीह के त्याग और बलिदान से जुड़ा दिन है. इस दिन लोग ईसा मसीह के बलिदान […]

Easter Sunday
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  • Last Updated: March 31, 2024 08:06:45 IST

नई दिल्ली: आज 31 मार्च को ईस्टर संडे है. ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए ये दिन खास है. बता दें कि गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद ईसाई धर्म के लोग ईस्टर संडे मनाते हैं. गुड फ्राइडे ईसा मसीह के त्याग और बलिदान से जुड़ा दिन है. इस दिन लोग ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हैं. बता दें कि गुड फ्राइडे के तीसरे दिन रविवार को ईसा मसीह पुनर्जीवित हो गए, इसलिए ईस्टर रविवार का अवकाश ईसा मसीह के पुनरुत्थान के सम्मान में मनाया जाता है, और लोगों का मानना है की अपने पुनरुत्थान के बाद यानी ईस्टर रविवार के बाद, ईसा मसीह 40 दिनों तक धरती पर रहे और अपने शिष्यों को प्रेम और करुणा का पाठ पढ़ाया, जिसके बाद वो स्वर्ग चले गए, तो ऐसे में चलिए आज जानते हैं इस पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें…

क्यों मनाते हैं ईस्टर संडेEaster Sunday 2023 Date Celebration of Christian Festival

बता दें कि प्रभु यीशु प्रेम और शांति के मसीहा थे. धार्मिक कट्टरपंथियों को यह पसंद नहीं आया, इसलिए दुनिया में प्रेम और करुणा का संदेश देने वाले प्रभु यीशु को धार्मिक कट्टरपंथियों ने सूली पर चढ़ा दिया. प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़ने का दिन शुक्रवार था, जब प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया तो उनके अनुयायी निराश हो गए और उनकी शहादत को गुड फ्राइडे के रूप में मनाने लगे, लेकिन तीन दिन बाद रविवार को प्रभु यीशु फिर से जीवित हो गए है. इसके बाद उनके अनुयायियों में खुशी की लहर दौड़ गई. तभी से ईसाई धर्म में ईस्टर बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने लगा.

ऐसे मनाया जाता है ईस्टर संडे

ईसाई धर्म के लोग ईस्टर को बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते हैं. इस दिन लोग चर्च जाते हैं और प्रभु यीशु को याद करते हैं, उनकी याद में चर्च में मोमबत्तियाँ जलाई जाती हैं. बता दें कि लोग बाइबल पढ़ते हैं और प्रभु यीशु के पुनरुत्थान पर खुशी-खुशी एक-दूसरे को बधाई देते हैं, और कहा जाता है कि इस दिन ईसा मसीह के पुनर्जीवित होने के बाद उन्हें यातनाएं देने और सूली पर चढ़ाने वाले लोगों ने बड़ा पश्चाताप किया था, इसलिए इसे परिवर्तन का दिन भी माना जाता है.

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