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निर्जला एकादशी पर व्रत खंडित होने से बचाने के लिए करें ये उपाय, होगी इच्छाओं की पूर्त

हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का बहुत महत्व होता है। इस दिन महिलाएं भूखी-प्यासी रहकर व्रत करती है। आइए जानते हैं इस दिन व्रत करने के नियम के बारे में।

Nirjala ekadashi vrat niyam
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  • Last Updated: May 30, 2025 09:53:58 IST

नई दिल्ली। निर्जला एकादशी का सनातन धर्म में बहुत महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने से व्रती को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। हिंदू पंचाग के मुताबिक वृषभ और मिथुन संक्रांति के बीच ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है।

इन नियमों का करें पालन

इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून यानी शुक्रवार को रखा जाएगा। यह व्रत मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। इसका कारण यह है कि इस व्रत में अन्न और जल को त्यागना होता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून को रात 2 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा जो अगले दिन जाकर 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर खत्म होगा। इस दिन कुछ खास नियमों का पालन करना होता है ताकि आप व्रत खंडित न हो। आइए जानते हैं किन नियमों का करें पालन।

कलश दान करना शुभ

निर्जला एकादशी के व्रत में दान करना शुभ माना जाता है क्योंकि इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। इस एकादशी के व्रत में जल कलश दान करने वालों को पूरे साल की एकादशियों का फल प्राप्त होता है। इस दिन का व्रत करने वाले लोगों को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है इसलिए इस दिन की पूजा करने के कुछ खास नियम होते हैं। उनका पालन करना जरूरी होता है।

अनाज का त्याग करना जरूरी

जैसे इसके नाम से पता चल रहा है कि यह निर्जला व्रत है। इस व्रत में पानी और खाने को त्यागना होता है। ठीक उसी प्रकार इस व्रत को करने के भी कुछ नियम होते हैं। सभी एकादशी में से यह सबसे कठिन व्रत होता है। इस व्रत के नियमों का पालन नहीं किया गया तो व्रत खंडित भी हो सकता है। ज्योतिष के मुताबिक इस व्रत में अन्न का त्याग करना जरूरी होता है क्योंकि इस दिन अनाज पूरी तरह से वर्जित होता है।

दिन में सोने से बचना चाहिए

इस व्रत में फल खाना भी मान्य नहीं होता है। इस व्रत में भूखे और प्यासे रहकर ही मन को शांत करने की कोशिश करनी चाहिए। किसी भी बुरे विचार को मन में नहीं लाना चाहिए। किसी को तीखा या कठोर बोलने से बचना चाहिए। दिनभर कोशिश करें कि कम बोले। हो सके तो मौन व्रत रख लें। इससे आपका गला सूखेगानहीं, साथ ही प्यास कम लगेगी। दिन में सोने से बचना चाहिए। इस व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। शारीरिक इच्छाओं पर नियंत्रण बनाए रखना चाहिए।

गरीब को दान-दक्षिणा दें

निर्जला व्रत में भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही भगवान का नाम जपते रहना चाहिए। ऐसा करने से मन शुद्ध और शांत रहता है। साथ ही इस दिन रात में जागरण करना भी शुभ माना जाता है। द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए। याद रहे पारण से पहले गरीब या जरूरतमंद को दान-दक्षिणा करें।

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