नई दिल्ली. गोवर्धन पूजा दीवाली के एक दिन बाद की जाती है. दीवाली के एक दिन बाद यानी की 28 को इस बार गोवर्धन पूजा की जाएगी. गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि में 28 अक्टूबर को है. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 3 बजकर 24 मिनट से शाम 5 बजकर 36 मिनट तक है. प्रतिपदा तिथि प्रारंभ सुबह 9 बजकर 8 मिनट से शाम 6 बजकर 13 मिनट तक होगी. हिन्दू धर्मों के अनुसार ये कहा गया है कि दीवाली के अगले दिन गोवर्धन की पूजा होती है.
गोवर्धन की पूजा के पीछे भगवान कृष्ण की लीला है. द्वापर युग में इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए अपनी कनिष्ट अंगुली से गोवर्धन पर्वत को हाथ से उठा लिया था. साथ में एक संदेश भी दिया था कि अहंकार और अभिमान का सबसे बड़ा दुश्मन है इसलिए अहंकार नहीं करना चाहिए.
गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन गौ माता कि भी पूजा की जाती है. गोवर्धन पर्वत ब्रज स्थित है. यह एक छोटी सी पहाड़ी है. लेकिन इस पहाड़ी को पर्वतों का राजा माना जाता है. क्योंकि द्वापर युग का सिर्फ एक यही अवशेष ही अबतक मौजूदा समय में है. यमुना नदी तो समय समय पर बदलती रहती है. लेकिन आज भी गोवर्धन पर्वत अपनी जगह पर स्थित है. गोवर्धन पर्वत को भगवान श्री कृष्ण के रूप में पूजा की जाती है.
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