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जानिए देवों के देव महादेव को क्यों पसंद है शमशान में रहना

हिमालय की ऊंची चोटियों और गुफाओं में वास करने वाले योगीराज भगवान शिव का एक निवास स्थान शमशान घाट भी है. दुनिया को यह सीख देने के लिए कि यहां कुछ भी स्थाई नहीं भोलेनाथ ने तप के लिए शमशान का चयन किया. इसकी एक वजह यह भी है कि कि शमशान घाट एकमात्र ऐसी जगह है जहां सही मायने में शरीर से आत्मा मुक्त हो जाती है और शिव ने जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाने की चाह रखने वालों को संदेश देने के लिए शमशान को निवास स्थान चुना है.

:Lord Shiva
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  • Last Updated: March 4, 2018 13:48:17 IST

नई दिल्लीः पहाड़ों से लेकर तिनके तक हर जगह भगवान शिव का वास है. हिमालय की खूबसूरत वादियों में रहने वाले भोलेनाथ को शमशान निवासी भी कहा गया है. शिव से जुड़ी प्रत्येक चीज कुछ ना सिखाता है वैसे ही शिव का शमशान में रहना भी संदेश देता है कि इस जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है. भगवान शिव का निवास स्थान शमशान हमें बताता है कि दुनिया एक मिथ्या मात्र है लेकिन भौतिक सुख की लालसा में मनुष्य सबसे बड़े सत्य को देख नहीं पाता वो भूल जाता है कि दुनिया का सबसे बड़ा सत्य है मृत्यु.

शिव ने शमशान ही क्यों चुना?
कहते हैं कि श्मशान घाट एकमात्र ऐसी जगह है जहां सही मायने में शरीर से आत्मा मुक्त हो जाती है. भगवान शिव ने मनुष्य की इस सामान्य मोह माया की दुनिया से दूर रहने के लिए श्मशान घाट को चुना, जिससे कि वह ध्यान लगा सकें.

भोलेनाथ क्यों पहनते हैं नर मुंडों की माला, क्यों लगाते हैं भस्म?
दुनिया को ये संदेश देने के लिए कि इस विश्व में कुछ भी स्थाई नहीं है वह खोपड़ी की माला पहनते हैं. भगवान शिव हमें जीवन को संतुलित बनाए रखना सिखाते हैं. अपने शरीर पर भस्म लगा कर महादेव यह संदेश देते हैं कि इस दुनिया में कुछ भी व्यर्थ नहीं है जिसे दुनिया राख समझ के ठुकरा देती है उसे भी अपना मान कर शिव अपने शरीर पर लगा लेते हैं.

शमशान में किसके साथ रहते हैं भूतनाथ शिव?
शिव के सेवकों को गना कहा जाता है. ये विकसित और विकृत प्रकृति के होते हैं. इनके शरीर से अंग बाहर निकले हुए दिखाई देते हैं. शिव के सच्चे भक्तों को उनसे मिलाने में डरने की आवश्यकता नहीं होती. क्योंकि शिव के साथ गना का होना इस बात को दिखाता है कि जो मनुष्य शिव की भक्ति करना चाहता है, उसे सबसे पहले अपने डर पर काबू पाना सीखना चाहिए.

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