हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व होता है. 7 सितंबर को पितृपक्ष यानि श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहे हैं. पितृपक्ष में पितृगणों का श्राद्ध करके पितरो को खुश किया जाता है. इस बार 14 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष में पितरो को खुश करने से घर में सुख, शांति और धन की कभी कमी नहीं होती है.
आज पूरे देश में ईद-उल-अजहा यानि की बकरीद धूम धाम से मनायी जा रही है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईद-उल-अजहा की सभी देशवासियों को बधाई दी है. इस्लाम धर्म में बकरीद को कुर्बानी का पर्व माना गया है. इसलिए इस दिन सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दी जाती है.
गणेश चतुर्थी का त्यौहार देश के कई भागों में जोश से मनाया जा रहा है. गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ ये उत्सव पांच सितंबर मंगलवार के दिन खत्म हो जाएग. इस दौरान गणेश जी को लोग घर ला रहे हैं. उनकी सेवा कर रहे हैं. लेकिन आप गणेश की पूजा करे इससे ही आपको पूरा लाभ नहीं मिलेगा.
वो कहते हैं ना कि एक मनुष्य को हमेशा दान आदि करते रहना चाहिए लेकिन जब बात पितरों की आती है तो सभी के मन में भक्ति-भावना जागृत हो जाती है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि श्राद्ध में कौन-कौन से दान आदि कर सकते हैं.
हर साल भाद्रपक्ष मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनया जाता है, क्या आप इस बात से वाकीफ है क्यों कि इसी दिन गणपति बप्पा आपके घर से विदा लेते हैं. इस साल अंनत चतुर्दशी 5 सितंबर को है.
इस्लाम धर्म में साल में दो ईद मनायी जाती है. ईद-उल-फितर और दूसरी होती है ईद-उल-जुहा. इस पर्व को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है. बकरीद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद में ईद की नमाज अदा करने के बाद कुर्बानी देते हैं.
नई दिल्ली. सभी घरों में पूजा पर विशेष ध्यान रखा जाता है. शुभ तरीकें से पूजा करने के लिए मंदिर को हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए. मंदिर को वास्तु के हिसाब से लगाना चाहिेए. लेकिन हम जानकारी के आभाव में कुछ ऐसी गलतिययां कर बैठते हैं जो अशुभ होती हैं. इसीलिए हम […]
हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का अपना एक अलग महत्व होता है. भाद्रपद मास में वैसे तो ज्यादा व्रत-त्योहार तो नहीं होते, मगर पद्मा एकादशी का अपना एक अलग ही महत्व है. हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मा एकादशी या परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है.
इस्लाम धर्म में बकरीद को काफी पवित्र त्योहार माना जाता है. इस साल ईद-उल-अज़हा या ईद-उल-ज़ुहा या बकरीद दो सितंबर को मनाई जाएगी. साल में दो ईद मनाई जाती है. एक को ईद ऊल फितर और एक को ईद उल जुहा यानी की बकरीद कहते हैं. बकरीद को कुर्बानी का पर्व भी कहा जाता है.
पितरों के लिए किए जाने वाले सभी कार्य उन्हें श्राद्ध कहते हैं. आप अपने पितरों के लिए जो भी कार्य करें उसे श्रद्धापूर्वक करें, बता दें कि श्राद्ध को ही पितरों का यज्ञ कहते हैं. शास्त्रों में तीन ऋण विशेष बताए गए हैं.