मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है. नवरात्र के दूसरे दिन भगवती मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, अर्चना का विधान है. मां ब्रह्मचारिणी को इस प्रकार आप खुश कर सकते हैं.
मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है. नवरात्र के दूसरे दिन भगवती मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, अर्चना का विधान है. मां ब्रह्मचारिणी को इस प्रकार आप खुश कर सकते हैं.
नई दिल्ली. भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक और पुरातत्वशास्त्री बीबी लाल ने दावा है कि पुराणों में लिखी 'मनु की बाढ़' सिर्फ कहानी नहीं एक सच्ची घटना थी. भारतीय एतिहासिक अनुसंधान परिषद यानी आइसीएचआर की ओर से आयोजित एक सेमिनार में बीबी लाल ने एक रिसर्च पेपर भी पेश किया गया.
आज से चैत्र नवरात्र के साथ ही हर जगह धार्मिक आयोजन शुरू हो गए हैं. साल 2017 के चैत्र नवरात्र के साथ ही हिंदू नवसंवत्सर भी शुरू होगा. 9 दिनों तक चलने इस पूजा में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाएगी.
आज से चैत्र नवरात्र के साथ ही हर जगह धार्मिक आयोजन शुरू हो जाएंगे. साल 2017 के चैत्र नवरात्र के साथ ही हिंदू नवसंवत्सर भी शुरू होगा. 9 दिनों तक चलने इस पूजा में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाएगी.
आज से चैत्र नवरात्र के साथ ही हर जगह धार्मिक आयोजन शुरू हो जाएंगे. साल 2017 के चैत्र नवरात्र के साथ ही हिंदू नवसंवत्सर भी शुरू होगा. 9 दिनों तक चलने इस पूजा में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाएगी.
नवरात्र मां दुर्गा के प्रति आस्था और विश्वास का व्रत है. इन दिनों मां के भक्त नौ दिनों तक, जप जैसे विभिन्न अनुष्ठानों से माता को प्रसन्न कर उनसे आशीर्वाद मांगते है. वैसे तो साल में चैत्र, आषाढ़, आश्वनि और माघ महीनों में चार बार नवरात्रि आती है. लेकिन चैत्र और आश्विन माह की नवरात्रि को प्रमुख माना जाता है.
नवरात्र का पावन और शुभ समय कल यानी मंगलवार 28 मार्च से शुरू होने वाला है. इन नवरात्रों के साथ ही धार्मिक आयोजन भी शुरू हो जाएंगे. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है. इस दौरान माता के भक्त नौं दिनों तक जप, तप जैसे विभिन्न अनुष्ठानों से माता को प्रसन्न करते हैं और उनसे आशिर्वाद मांगते हैं.
इस बार अमावस्या और नवरात्र एक ही दिन पड़ रहे हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं को कई तरह के भ्रम पैदा हो सकती है कि क्या अमावस्या के दिन मतलब नवरात्र के सुबह कलश स्थापना करना क्या सही रहेगा.पंडितों के अनुसार करीब 20-22 साल के बाद ऐसा संयोग पड़ा है जब तिथियों में इस तरह का फेर देखा जा रहा है.
भगवान शिव को प्रसन्न करना बड़ा ही आसान है लेकिन सबसे जरुरी बात यह है कि आप भोले नाथ को किस विधी से प्रसन्न करते हैं. हर व्यक्ति किसी न किसी परेशानी के चलते दुखी रहता है। कुछ सरल उपायों को करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया जा सकता है. भगवान शिव की कृपा से विवाह में आ रही रुकावटें, धन संबंधी समस्याएं दूर होती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.