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अब नहीं होगी अकाल मृत्यु! प्रेमानंद महाराज ने बता दिया इसका इलाज, ये 5 तरीके सुरक्षाकवच बनकर करेंगे आपकी रक्षा, बस नियम से कर लें फॉलो

Premanand Ji Maharaj: भक्ति और सत्संग के जरिए लोगों को जीवन का सही मार्ग दिखाने वाले प्रेमानंद जी महाराज इन दिनों एक खास वजह से सुर्खियों में हैं।

Premanand Ji Maharaj
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  • Last Updated: June 24, 2025 17:00:13 IST

Premanand Ji Maharaj: भक्ति और सत्संग के जरिए लोगों को जीवन का सही मार्ग दिखाने वाले प्रेमानंद जी महाराज इन दिनों एक खास वजह से सुर्खियों में हैं। सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से बचने के उपाय बता रहे हैं। उनके मुताबिक, अगर व्यक्ति कुछ खास नियमों को अपने जीवन में अपनाए, तो न सिर्फ उसका जीवन मंगलमय बनता है, बल्कि पुनर्जन्म और अकाल मृत्यु जैसे योग भी खत्म हो जाते हैं।

कुछ धार्मिक तरीकों से अकाल मौत से बचेगा इंसान

प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि कुछ धार्मिक उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके इंसान खुद को और अपने परिवार को कई अनहोनी घटनाओं से बचा सकता है। उन्होंने अपने सत्संग में खासतौर पर पांच ऐसे उपाय बताए हैं जो नियमित रूप से किए जाएं तो व्यक्ति को सड़क दुर्घटनाओं, रोगों और अकाल मृत्यु जैसे खतरों से सुरक्षा मिल सकती है।

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श्रीकृष्ण के शालिग्राम जी का चरणामृत पिएं

सबसे पहले प्रेमानंद जी कहते हैं कि रोजाना श्रीकृष्ण के शालिग्राम जी का चरणामृत जरूर पीना चाहिए। उनका दावा है कि इससे न केवल रोगों का नाश होता है बल्कि पुनर्जन्म का चक्र भी टूटता है। वे इसे एक शक्तिशाली आध्यात्मिक अभ्यास मानते हैं।

इस मन्त्र का करें जाप

दूसरे उपाय के रूप में वे सलाह देते हैं कि हर दिन घर से निकलने से पहले “कृष्णाय वासुदेवाय…” मंत्र का 11 बार जप करें। इससे व्यक्ति को किसी भी अनचाही दुर्घटना से रक्षा मिलती है। चरणामृत पीने के बाद इस मंत्र का जप करना अधिक प्रभावी माना गया है।

प्रतिदिन 20 से 30 मिनट नाम जप

तीसरा उपाय है भगवान के सामने बैठकर प्रतिदिन 20 से 30 मिनट नाम जप करना। वे कहते हैं कि जिस भी नाम में आपकी आस्था हो, उसी का स्मरण करें। यह मन को शांति और आत्मा को शक्ति देता है।

रोजाना 11 बार दंडवत प्रणाम

चौथे नियम में प्रेमानंद जी बताते हैं कि रोजाना 11 बार ठाकुर जी के सामने दंडवत प्रणाम करना चाहिए। इसका फल 10 अश्वमेध यज्ञ के बराबर बताया गया है। वे दावा करते हैं कि कृष्ण को दंडवत प्रणाम करने से पुनर्जन्म नहीं होता।

वृंदावन की रज मस्तक पर लगाना

आखिरी उपाय में वे कहते हैं कि वृंदावन की रज (धूल) को मस्तक पर लगाना चाहिए। इसे पवित्रता और सुरक्षा का प्रतीक माना गया है। प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि जो भी व्यक्ति इन 5 नियमों को श्रद्धा और निष्ठा से अपनाता है, उसका जीवन न केवल सुरक्षित होता है, बल्कि उसमें आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता भी बनी रहती है।

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