Puja Ghar Vastu Tips: घर के मंदिर को सबसे पवित्र स्थान माना जाता है, लेकिन कई बार अनजाने में की गई कुछ गलतियां पूरे परिवार के जीवन में संकट ला सकती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर की दिशा, उसमें रखी वस्तुएं और साफ-सफाई जैसे पहलुओं का सही ढंग से पालन न किया जाए तो घर में नेगेटिव एनर्जी फैल सकती है, जो दरिद्रता, बीमारी और अशांति का कारण बनती है। विशेषज्ञों का कहना है कि घर का मंदिर हमेशा ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, क्योंकि यही दिशा देवी-देवताओं का वास स्थान मानी जाती है। इसके उलट अगर मंदिर दक्षिण दिशा में बना हो, तो यह यमराज और पितरों की दिशा मानी जाती है, जिससे गंभीर वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।
मंदिर में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां या फटी तस्वीरें रखना वर्जित है। ऐसी चीजें दुर्भाग्य को न्योता देती हैं। साथ ही कांच, प्लास्टिक या सस्ती धातु की मूर्तियों की बजाय मिट्टी, पीतल, चांदी या अष्टधातु की मूर्तियों को वरीयता देनी चाहिए। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है। पूजा स्थल पर गंदगी, जूते-चप्पल, झाड़ू या कूड़ेदान जैसी अशुद्ध चीजें रखने से नकारात्मक ऊर्जा फैलती है, जिससे मानसिक तनाव और आर्थिक हानि हो सकती है।
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वास्तु शास्त्र यह भी कहता है कि पूजा घर में पूर्वजों की तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए। भगवान और पूर्वजों की तस्वीरों का एक साथ होना बड़ा दोष माना जाता है, जिससे सुख-शांति में बाधा आती है और आर्थिक समस्याएं सिर उठाने लगती हैं। इसलिए अगर घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि बनाए रखनी है, तो इन नियमों का पालन करना अनिवार्य है। मंदिर में पवित्रता, सही दिशा और श्रद्धा से की गई पूजा ही जीवन को शुभ फल देती है।
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