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रामायण में जब दशरथ की आत्मा ने माता सीता से मांगा पिंडदान, जानिए क्या हुआ

वाल्मीकि रामायण में एक बहुत ही रोचक घटना का जिक्र मिलता है, जिसमें सीता माता ने राजा दशरथ की आत्मा को पिंडदान देकर उन्हें मोक्ष दिलाया था।

Raja Dashrath Pind Daan Mata Sita
inkhbar News
  • Last Updated: September 17, 2024 18:25:31 IST

नई दिल्ली: वाल्मीकि रामायण में एक बहुत ही रोचक घटना का जिक्र मिलता है, जिसमें सीता माता ने राजा दशरथ की आत्मा को पिंडदान देकर उन्हें मोक्ष दिलाया था। यह घटना उस समय की है जब भगवान राम, लक्ष्मण और सीता वनवास के दौरान पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने के लिए गया धाम पहुंचे थे।

श्राद्ध का समय और दशरथ जी की आत्मा की पुकार

जब राम और लक्ष्मण श्राद्ध के लिए आवश्यक सामग्री लाने नगर की ओर गए थे, तब धीरे-धीरे पिंडदान का समय निकलने लगा। सीता माता अकेली थीं और समय बीत रहा था। तभी दशरथ जी की आत्मा सीता जी के सामने प्रकट हुई और पिंडदान की मांग करने लगी। सीता माता असमंजस में पड़ गईं, क्योंकि उनके पास श्राद्ध के लिए आवश्यक सामग्री नहीं थी।

रेत का पिंडदान और गवाहों का असत्य

कुछ सोचने के बाद, सीता जी ने रेत का पिंड बनाया और गाय, फल्गु नदी, केतकी के फूल, वट वृक्ष और कौआ को गवाह बनाकर दशरथ जी को पिंडदान दे दिया। जब राम लौटे तो उन्होंने पूछा कि बिना सामग्री के पिंडदान कैसे किया गया? सीता जी ने उन्हें गवाहों का नाम बताया। लेकिन, जब गवाही का समय आया, तो फल्गु नदी, गाय, और केतकी के फूल ने झूठ बोल दिया। केवल वट वृक्ष ने सत्य की गवाही दी।

सीता के श्राप और वरदान

झूठ बोलने पर सीता माता क्रोधित हो गईं और उन्होंने फल्गु नदी को श्राप दिया कि वह हमेशा सूखी रहेगी। गाय को श्राप दिया कि वह मैला खाएगी, और केतकी के फूल को श्राप दिया कि वह पितृ पूजन में निषेध होगा। वट वृक्ष की सत्यवादिता से प्रसन्न होकर, सीता जी ने उसे लंबी उम्र और हमेशा दूसरों को छाया देने का वरदान दिया।

दशरथ जी की मुक्ति

इस घटना के बाद, सीता जी ने ध्यान किया और दशरथ जी की आत्मा पुनः प्रकट हुई। उन्होंने बताया कि सीता जी द्वारा दिया गया रेत का पिंडदान उन्हें मोक्ष दिलाने के लिए पर्याप्त था। इस प्रकार, राजा दशरथ को मुक्ति मिल गई।

इस कथा से यह सिखने को मिलता है कि सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से किया गया कोई भी कार्य फलीभूत होता है, चाहे उसके लिए सामग्री हो या न हो। सीता माता की भक्ति और निष्ठा ने दशरथ जी को मोक्ष दिलाया, जो धर्म और सत्य का प्रतीक है।

 

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