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इस मशहूर कवि ने सनातन धर्म छोड़ अपनाया इस्लाम! पढ़ा कलमा और बने अंसारी, जानिए इस महान संत ने क्यों किया धर्म परिवर्तन?

Sant Kabir Jayanti 2025: आज देशभर में संत कबीर दास की जयंती मनाई जा रही है। कबीर दास की जयंती हर साल 11 जून को सेलिब्रिटी मनाई जाती है। भारत में संत कबीरदास को बहुत पूजनीय माना जाता है।

Sant Kabir Jayanti 2025
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  • Last Updated: June 11, 2025 10:24:07 IST

Sant Kabir Jayanti 2025: आज देशभर में संत कबीर दास की जयंती मनाई जा रही है। कबीर दास की जयंती हर साल 11 जून को सेलिब्रिटी मनाई जाती है। भारत में संत कबीरदास को बहुत पूजनीय माना जाता है। संत कबीर दास ने कुछ ऐसी बातें कहीं हैं जो भारतियों को प्रेरित करती हैं। संत कबीर दस 15वीं सदी में जन्मे थे वो न सिर्फ एक महान कवी थे बल्कि एक संत भी थे। उन्होंने समाज की रूढ़िवादिता और अंधविश्वास को भी तोडा। ऐसा कहा जाता था कि वे साल 1398 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जन्में थे। कुछ मान्यताओं के मुताबिक वे एक ब्राह्मण परिवार में विधवा के घर जन्में थे लेकिन बाद में वो एक मुस्लिम जुलाहा बन गए और अपने परिवार का पालन-पोषण किया था। इसी कारण से उनकी सोच में धर्म, जाति और संप्रदाय की कोई भी दीवार नहीं थी।

कबीर दास के जीवन ने किया प्रेरित

कबीर दास का जीवन इस बात की मिसाल है कि कैसे एक व्यक्ति सादा जीवन जीते हुए भी लोगों के दिलों और आत्माओं को छू सकता है। उन्होंने भक्ति आंदोलन को एक नई दिशा दी और बताया कि ईश्वर को पाने के लिए किसी मंदिर या मस्जिद की ज़रूरत नहीं होती, बल्कि सच्चे दिल की ज़रूरत होती है। जानिए कबीर दास की मुख्य शिक्षाएं, जो जीवन जीने का सीधा रास्ता दिखाती हैं। कबीर दास का मानना ​​था कि ईश्वर न तो हिंदुओं का है और न ही मुसलमानों का। वे कहते थे कि ईश्वर हर जगह है और उसे खोजने के लिए धर्मों में बंटने की जरूरत नहीं है। उनका प्रसिद्ध दोहा – “मालिक सबमें एक है, नाम धराया नया।” इससे यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है।

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धार्मिक कर्मकांडों का किया खुलकर विरोध

कबीर हमेशा कहते थे कि ईश्वर की पूजा दिखावे और कर्मकांड से नहीं, बल्कि दिल से करनी चाहिए। उनका मानना ​​था कि अगर दिल साफ है तो भगवान खुद पास आते हैं। कबीर दास जी ने उन धार्मिक कर्मकांडों और झूठे अंधविश्वासों का खुलकर विरोध किया, जो व्यक्ति को भ्रमित करते हैं। उन्होंने कहा कि धर्म वह है जो सत्य, प्रेम और करुणा सिखाता है। उन्होंने जातिवाद और ऊंच-नीच को पूरी तरह से नकार दिया। उनके दोहे साफ कहते हैं कि व्यक्ति की कीमत उसके जन्म से नहीं, बल्कि उसके कर्मों और विचारों से होती है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।