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षटतिला एकादशी 2018 व्रत कथा: माघ माह की षटतिला एकादशी पर जरूर पढ़ें कथा, व्रत का ये है खास महत्व

षटतिला एकादशी 2018 व्रत कथा: हर माह दो एकादशी आती हैं लेकिन माघ माह की एकादशी का खास महत्व होता है. इस एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है. इस दिन पूजा पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा बरसती है. षटतिला एकादशी कथा और पारण के बाद ही ये व्रत पूरा होता है.

Padmini Ekadashi vrat katha
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  • Last Updated: January 10, 2018 14:46:19 IST

नई दिल्ली. हिंदू धर्म में एकादशी का खास महत्व होता है. वहीं जब माघ माह की षटतिला एकादशी पर खास तौर पर पूरे विधि विधान पूर्वक पूजा की जाती है. साल भर में 24 एकादशी पर्व पड़ते हैं. हर महीने 2 एकादशी होती हैं, जिन्हें ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है. इस माह षटतिला एकादशी पड़नी है इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. और कथा सुन कर अपने व्रत को पूरा किया जाता है.

षटतिला एकादशी 2018 व्रत कथा:
पुराणों के अनुसार एक ब्राह्मणी हमेशा एकादशी व्रत किया करती थी. हर एकादशी पर वो भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करती थी. एक बार उसने भक्ति के भाव को एक माह तक कठिन व्रत कर प्रस्तुत किया. व्रत के वजह से ब्राह्मणी का शरीर तो शुद्ध हो गया. लेकिन ब्रह्मणी की आदत थी कि वो कभी किसी को भोजन या अन्न दान नहीं किया करती थी. जिसके बाद खुद एक बार विष्णु जी ने साधारण साधु का भेष धारण कर ब्राहमणी के आश्रम जा पहुंचे. उस दिन ब्रह्मणी ने भगवान विष्णु को साधारण सा मनुष्य समझ कर एक मिट्टी का टुकड़ा हाथ में दे दिया. जिसके बाद विष्णु बिना कुछ बोले चले गये. लेकिन जब ब्रह्मणी कुछ समय पश्चात ब्राह्मणी नारी शरीर को त्याग कर जब वैकुण्ठ धाम आई तब उसे एक खाली आश्रम और आम का एक वृक्ष मिला.

तब ब्राह्मणी चितिंत होकर बोलीं कि हे ईश्वर मैंने सदैव आपकी पूजा पाठ किया है लेकिन आप मेरे साथ ऐसा अन्याय कैसे कर सकते हो. तब बड़े ही निर्मल स्वर में विष्णु जी बोलें, ब्रह्मणी तूने सदैव पूजा भक्ति तो की लेकिन तूने कभी किसी को अन्न व भोजन दान नहीं किया. उसके बाद विष्णु जी ने अपनी पूरी कहानी बताई कि कैसे वो धरती पर आए थे और उस समय ब्रह्मणी ने उन्हें मिट्टी का टुकड़ा देकर वापस लौटा दिया था. इस गाधा के सुनने के बाद ब्रह्मणी को अपने किये पर खूब पछतावा हुआ और भगवान विष्णु जी से इस संकट से मुक्ति पाने के लिये उपाय पूछा. जिसके बाद भगवान विष्णु ने षटतिला एकादशी व्रत करने का उपाय बताया. तभी से षटतिला एकादशी व्रत करने की परंपरा चली आ रही है.

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