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मछुआरन से संबंध बनाने के लिए तड़प उठा यह ऋषि, शरीर से आती थी बदबू फिर भी भोगने के लिए कर दिया हद पार

महाभारत में कई ऐसी कहानियां है, जिसके बारे में न हमने पढ़ा है और न सुना है। ऐसी ही कथा है ऋषि पराशर की। ऋषि पराशर एक मछुआरन को देखकर इस तरह मोहित हो जाते हैं कि उसके साथ मिलन करने के लिए आतुर हो उठते हैं। आई जानते हैं इस कथा के बारे में-

Rishi Parashar
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  • Last Updated: January 17, 2025 10:02:55 IST

Mahabharat: महाभारत में कई ऐसी कहानियां है, जिसके बारे में न हमने पढ़ा है और न सुना है। ऐसी ही कथा है ऋषि पराशर की। ऋषि पराशर एक मछुआरन को देखकर इस तरह मोहित हो जाते हैं कि उसके साथ मिलन करने के लिए आतुर हो उठते हैं। कन्या को प्राप्त करने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। दिन में संसर्ग न हो इसलिए उस पल को अपनी शक्ति से रात बना देते हैं। आई जानते हैं इस कथा के बारे में-

मत्स्यगंधा के प्रेम में डूबे पराशर

ऋषि पराशर एक बार तीर्थयात्रा पर निकले हुए थे। घूमते-घूमते वो युमना तट पर आए और एक मछुआरे से कहा कि मुझे नदी के उस पार पहुंचा दो। मछुआरा उस समय खाना बना रहा तो उसने अपनी बेटी मत्स्यगंधा से कहा कि ऋषि को यमुना पार पहुंचा दो। मुनि पराशर की नजर जैसे ही मत्स्यगंधा पर पड़ी तो उसे देखकर ऋषि काम वासना में जल उठे। उन्होंने मत्स्यगंधा के सामने अपने मन की बात रखी।

दिन में कर दिया रात

मत्‍सगंधा ने सोचा की अगर मैं ऋषि की इच्छा का मान नहीं रखती हूँ तो मुझे ये श्राप दे देंगे। उसने ऋषि से कहा कि ये मुनिवर मेरे शरीर से तो मछली की दुर्गन्ध आती है। आपके मन में मुझे लेकर काम भावना कैसे आ गया। ऋषि पराशर ने अपनी शक्तियों से मत्स्यगंधा को सुगन्धित बना दिया है। फिर कन्या ने कहा कि दिन में मैं कैसे सम्भोग कर सकती हूं। ऋषि ने अपने तपोबल से यमुना तट पर अँधेरा कर दिया।

महर्षि वेदव्यास का जन्म

मत्‍सगंधा ने आगे ऋषि से कहा कि अगर मैं आपसे संबंध बनाती हूँ तो मेरा कौमार्य खत्म हो जाएगा। अगर मैं मां बन गई तो मेरा जीवन खत्म हो जाएगा। फिर क्या था ऋषि ने उसे वरदान दिया कि मेरे भोगने के बाद भी तुम कुंवारी बनी रहोगी। इसके बाद मत्‍सगंधा के साथ उन्होंने सम्बन्ध बनाये और चले गए। मत्‍सगंधा जो बाद में सत्यवती के नाम से जानी गईं, उन्होंने कृष्णद्वैपायन नाम के पुत्र को जन्म दिया। ये आगे चलकर महर्षि वेदव्यास के नाम से प्रसिद्ध हुए।

 

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