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श्रीकृष्ण के इस अधर्मी पुत्र ने दिया था लोहे के मूसल को जन्म, ऋषियों का ये श्राप बना यदुवंश के विनाश का कारण

महाभारत युद्ध के दौरान गांधारी से मिले श्राप के कारण श्री कृष्ण के कुल में जन्मे उनके सभी पुत्र स्वभाव से दुष्ट और अधर्मी निकले। सांब अपने सभी भाइयों में सबसे अधर्मी थे।

Shree Krishna Son samb Curse
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  • Last Updated: December 16, 2024 10:40:25 IST

नई दिल्लीः महाभारत से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं जो हमें जीवन की सीख देती हैं। कुछ कहानियों का सार धर्म है तो कुछ का सार अधर्म। ऐसी ही एक कहानी श्री कृष्ण और उनके पुत्र से जुड़ी है। महाभारत युद्ध के दौरान गांधारी से मिले श्राप के कारण श्री कृष्ण के कुल में जन्मे उनके सभी पुत्र स्वभाव से दुष्ट और अधर्मी निकले। सांब अपने सभी भाइयों में सबसे अधर्मी थे।

ऋषियों का उड़ाया मजाक

एक बार श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब ने गर्भवती स्त्री का स्वांग रचकर वन में ऋषि-मुनियों का अपमान किया। इसके कारण उसे श्राप मिला कि इस राजकुमार ने गर्भवती होने का स्वांग रचकर हमारा उपहास किया है, इसलिए इसके गर्भ से एक मूसल पैदा होगा और वह मूसल यादव वंश के नाश का कारण बनेगा। इस श्राप के कारण श्री कृष्ण के वंश के सभी राजकुमार पश्चाताप करने लगे।

साम्ब के पेट से निकला मूसल

अगली सुबह साम्ब ने श्राप के चलते एक भयंकर मूसल को जन्म दिया। सभी राजकुमार महल में पहुंचे और भरी सभा में यादवों के सामने उस मूसल को रख दिया। राजा उग्रसेन को पूरी बात बताई गई। राजा उग्रसेन ने आदेश दिया, ‘इस मूसल को कुचलकर इसका चूर्ण, लोहे का टुकड़ा, समुद्र में फेंक दो।’ राजकुमारों ने वैसा ही किया। इस संबंध में किसी ने भी श्री कृष्ण से कोई सलाह नहीं ली। एक मछली ने लोहे के टुकड़े को निगल लिया और मूसल का चूर्ण समुद्र की लहरों के साथ बहकर किनारे पर आ गया।

आपस में लड़कर मरे यदुवंशी

मूसल के चूर्ण से एरक के रूप में गांठ रहित घास उग आई। इसके बाद द्वारका में कुछ बहुत ही अशुभ संकेत दिखाई दिए, जिसमें सुदर्शन चक्र, श्री कृष्ण का शंख, उनका रथ और बलराम का हल गायब हो जाना शामिल था। द्वारका में अपराध और पाप बढ़ने लगे। यह देखकर श्री कृष्ण चिंतित हो गए और उन्होंने अपनी प्रजा से प्रभास नदी के तट पर जाकर अपने पापों का पश्चाताप करने का आग्रह किया। द्वारकावासी वहां जाकर शराब के नशे में एक-दूसरे से लड़ने लगे। सब एरक घास उखाड़कर एक-दूसरे पर प्रहार करने लगे। गांधारी के श्राप के अनुसार यादव वंश के सभी लोग आपस में लड़ते हुए मर गए।

श्री कृष्ण को लगा तीर

जब मछुआरों ने लोहे के टुकड़े को निगलने वाली मछली को पकड़ा तो उसमें से लोहे का टुकड़ा बाहर आ गया। जरा नामक एक शिकारी ने इस लोहे के टुकड़े से एक तीर बनाया। जरा ने इस तीर से श्री कृष्ण को मार डाला और इसके बाद श्री कृष्ण अपने वैकुंठ धाम लौट गए।

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