नई दिल्ली: प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यदि यह व्रत सोमवार को पड़ता है, तो इसे “सोम प्रदोष व्रत” कहा जाता है। यह व्रत खासतौर पर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन की सभी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इस दिन व्रती भगवान शिव की आराधना करते हैं और विशेष रूप से संध्या समय पूजा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सोम प्रदोष व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। यह व्रत स्वास्थ्य और धन-संपत्ति में वृद्धि के लिए भी फलदायक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान शिव सभी प्रकार के कष्ट और पापों का नाश करते हैं। आज का दिन विशेष रूप से प्रदोष व्रत, भद्रावास योग और त्रयोदशी तिथि के कारण अत्यधिक शुभ और फलदायी है। भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। इस दिन का पालन करके साधक अपनी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
आज के दिन सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 05:56 बजे से रात 8:34 बजे तक है। इस अवधि को प्रदोष काल कहा जाता है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय माना गया है। इस समय भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से विशेष फल मिलता है।
सोम प्रदोष व्रत की पूजा सूर्योदय से प्रारंभ होती है। व्रती को सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए और भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए। दिनभर निराहार रहकर संध्या के समय शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद भगवान शिव को दीप और अगरबत्ती अर्पित करके शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला था, तो भगवान शिव ने उसे पी लिया और संपूर्ण ब्रह्मांड को बचाया। इसी घटना की स्मृति में प्रदोष व्रत रखा जाता है। सोम प्रदोष व्रत के पालन से भक्तों को शिवजी की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इसके अलावा मान्यता है कि संतान प्राप्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सोम प्रदोष तिथि का व्रत करना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं में बताया गया है कि प्रदोष तिथि में भगवान शिव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और उस समय सभी देवी देवता उनकी स्तुति करते हैं।
Also Read…