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आज है साल का पहला सकट चौथ व्रत, जानें इसका महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

साल 2025 का पहला सकट चौथ व्रत 17 जनवरी, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और इसे संकटों से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। सकट चौथ को तिल चौथ और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है।

first Sakat Chauth
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  • Last Updated: January 17, 2025 13:14:00 IST

नई दिल्ली: साल 2025 का पहला सकट चौथ व्रत 17 जनवरी, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और इसे संकटों से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। सकट चौथ को तिल चौथ और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गणपति की पूजा करने और व्रत रखने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं सकट चौथ व्रत का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

सकट चौथ व्रत का महत्व

गणपति को विघ्नहर्ता कहा जाता है। मान्यता है कि सकट चौथ के दिन विधिपूर्वक व्रत करने और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों पर गणेश जी की कृपा सदैव बनी रहती है। सकट चौथ व्रत भगवान गणेश को प्रसन्न करने का विशेष पर्व है। आज के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति के सभी कष्ट और बाधाएं दूर हो जाती हैं। मान्यता है कि गणपति बप्पा को तिल और गुड़ के लड्डू, दूर्वा और मोदक का भोग लगाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इस दिन विशेष रूप से महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए व्रत रखती हैं। आज के दिन “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का जाप करना भी फलदायी माना जाता है

सकट चौथ का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 16 जनवरी को सुबह 4:09 मिनट पर हो गई है। वहीं, इस चतुर्थी का समापन 17 जनवरी को सुबह 5:33 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, सकट चौथ का व्रत 17 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। शाम में चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही सकट चौथ का व्रत खोला जाता है। ऐसे में 17 जनवरी को चंद्रोदय समय रात को 9:09 मिनट पर होगा।

सकट चौथ की पूजा विधि

1. प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
2. भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
3. गणेश जी को तिल, गुड़, दूर्वा, मोदक और फूल अर्पित करें।
4. सकट चौथ कथा का पाठ करें।
5. रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दें।
6. चंद्रमा को दूध, जल और गुड़ अर्पित करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
7. इसके बाद व्रत का पारण करें।

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