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आज बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को इस तरह करें प्रसन्न, होगी ज्ञान और विद्या की प्राप्ति, मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

बसंत पंचमी का पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित होता है। यह दिन विशेष रूप से विद्यार्थियों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। बसंत पंचमी 2025 में 2 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से बुद्धि का विकास, ज्ञान की प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

Goddess Saraswati
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  • Last Updated: February 2, 2025 10:05:19 IST

नई दिल्ली: बसंत पंचमी का पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित होता है। यह दिन विशेष रूप से विद्यार्थियों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। बसंत पंचमी 2025 में 2 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से बुद्धि का विकास, ज्ञान की प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आ

बसंत पंचमी के विशेष उपाय

इस दिन मां सरस्वती के समक्ष “सरस्वती वंदना” का पाठ करें और हरे रंग की पुस्तक का दान करें। पूजा के बाद “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वत्यै नमः” मंत्र का जाप करें। इस दिन सरस्वती पूजन के साथ भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा करने से भी काफी लाभ मिलता है। सफेद तिल और मिश्री का सेवन करें। इस दिन वसंत ऋतु के स्वागत में घर के बड़े बुजुर्गों को पीले वस्त्र और फल दान करें।

बसंत पंचमी का महत्व

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। यह दिन नए विचारों, सकारात्मक ऊर्जा और जीवन में खुशहाली लाने वाला माना जाता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती के पूजन से ज्ञान, कला और बुद्धि का विकास होता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को उनके प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। बसंत पंचमी का पर्व न केवल आध्यात्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन मां सरस्वती की आराधना कर विद्यार्थी, कलाकार और बुद्धिजीवी अपनी सफलता की राह को प्रशस्त कर सकते हैं

बसंत पंचमी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनने का प्रचलन है क्योंकि यह रंग बसंत ऋतु का प्रतीक होता है। इस दिन से वसंत ऋतु का आगमन माना जाता है और खेतों में सरसों के पीले फूल खिलने लगते हैं। इस दिन विद्या आरंभ का भी विशेष महत्व है। छोटे बच्चों को पहली बार लेखन सिखाने की परंपरा है, जिसे ‘अक्षरारंभ’ कहा जाता है। इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भी है, जिसे जीवन में नई ऊंचाइयों को छूने का प्रतीक माना जाता है।

मां सरस्वती की कृपा दिलाएंगे ये मंत्र

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा के दौरान माता के खास बीज मंत्रों का जाप करने से सभी जातकों को बड़ा लाभ मिलता है और जीवन में आ रही दिक्कतें दूर होती है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने के बाद “ॐ सरस्वती नमो नमः”।। का 108 बार जाप करें। इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि बढ़ती है और व्यक्ति विवेकशील बनता है। इसके अलावा लिए इस दिन “ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌।।” मंत्र का जाप करने से आपकी सोई किस्मत जाग सकती है। आप इस मंत्र को कम से कम 21 बार और अधिकतम 108 बार जप सकते हैं। इससे मां सरस्वती प्रसन्न होकर आपकी मनोकामनाएं पूरी करेंगी।

सरस्वती मां का प्रिय भोग क्या है?

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को केसर की खीर का भोग लगाएं। केसर की खीर को देवी सरस्वती का का प्रिय भोग कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती को केसर की खीर को भोग लगाया जाए तो मां सरस्वती प्रसन्न हो जाती हैं। इसके अलावा आज के दिन माता सरस्वती की पूजा में कमल के फूल का प्रयोग करें और कमल का फूल चढ़ाने से सरस्वती देवी प्रसन्न होती हैं।

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