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जब द्रौपदी और युधिष्ठिर के कक्ष में घुस गए थे अर्जुन, पांचाली ने दिया ऐसा श्राप कि आज तक भुगत रहा है ये जानवर

महाभारत में कई ऐसी कहानियां हैं जो किसी न किसी भयानक श्राप से जुड़ी हैं। ऐसी ही एक कहानी द्रौपदी द्वारा कुत्तों को दिए गए श्राप से जुड़ी है। एक कुत्ते की वजह से अर्जुन द्रौपदी और युधिष्ठिर के कक्ष में चले गए थे।

Draupadi Arjun Yudhishthir
inkhbar News
  • Last Updated: December 1, 2024 10:48:43 IST

नई दिल्लीः महाभारत में कई ऐसी कहानियां हैं जो किसी न किसी भयानक श्राप से जुड़ी हैं। ऐसी ही एक कहानी द्रौपदी द्वारा कुत्तों को दिए गए श्राप से जुड़ी है। आइए जानते हैं द्रौपदी द्वारा दिये गए श्राप के बारे में जो आज भी कुत्ते भुगत रहे हैं।

द्रौपदी से मिलने पहले पांडव करते थे ये काम

महाभारत की कहानी के अनुसार, जब अर्जुन ने स्वयंवर में द्रौपदी को जीत लिया, तो सभी पांडव और द्रौपदी (द्रौपदी की मृत्यु कैसे हुई) माता कुंती के पास आशीर्वाद लेने गए। माता कुंती ने भोजन बनाते समय बिना देखे ही कहा कि जो भी लाए हो, उसे आपस में बांट लो। इसके बाद मां की इच्छा पूरी करने के लिए द्रौपदी पांचों पांडवों की पत्नी बन गईं और पांचाली कहलाने लगीं। समस्या यह थी कि पांचों पांडवों की एक ही पत्नी द्रौपदी थी, ऐसे में मर्यादा का पालन कैसे किया जाए। इसके लिए द्रौपदी और पांचों पांडवों ने एक उपाय निकाला।

यह तय हुआ कि जो भी भाई द्रौपदी के कमरे में जाएगा, वह अपनी चरण पादुका (जूते) द्रौपदी के कमरे के बाहर उतार देगा, ताकि अगर कोई दूसरा भाई द्रौपदी से मिलने आए, तो वह जूते देखकर वहीं रुक जाए और मर्यादा का पूरी तरह से पालन हो सके।

अर्जुन ने युधिष्ठिर-द्रौपदी को साथ देखा

एक बार जब युधिष्ठिर द्रौपदी से मिलने उनके कमरे में पहुंचे, तो उसी समय अर्जुन भी द्रौपदी के कमरे में घुस गए। जब ​​अर्जुन ने देखा कि द्रौपदी के साथ युधिष्ठिर भी कमरे में मौजूद हैं, तो वे लज्जित हो गए दोनों से माफी मांगने लगे। जब ​​द्रौपदी ने गुस्से में अर्जुन से पूछा कि उसने अपने भाई के जूते कमरे के बाहर नहीं देखे, तो अर्जुन ने इनकार कर दिया। इसके बाद द्रौपदी समेत सभी पांडव युधिष्ठिर की जूतियां ढूंढने लगे जो महल के आंगन में खेल रहे कुत्तों के पास मिलीं। यह देखकर द्रौपदी ने कुत्तों को श्राप दिया कि जैसे उन्हें शर्मिंदगी झेलनी पड़ी, वैसे ही कलियुग में कुत्तों को भी अपमानित होना पड़ेगा। वे दर-दर भटकेंगे।

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