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When is Krishna Janmashtami 2019: जानिए इस साल कब है कृष्ण जन्माष्टमी दही हांडी, किस शुभ मुहूर्त में करें कान्हा की पूजा

When is Krishna Janmashtami 2019: देश भर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. खासतौर पर मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि को दुल्हन की तरह सजाया जाता है .इस मौके पर देश-विदेश से श्रद्धालु कान्हा और राधा रानी के भव्य श्रृंगार के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. आधी रात को कन्हैया का जन्म होता है. इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 24 अगस्त को मनाई जाएगी.

Krishna Janmashtami 2019
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  • Last Updated: June 15, 2019 22:36:10 IST

नई दिल्ली. जन्माष्टमी का त्यौहार श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. जन्माष्टमी का त्यौहार केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था और उल्लास के साथ मनाते हैं. श्री कृष्ण ने अपना अवतार भाद्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया था. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन मौके पर भगवान कृष्ण की मनमोहक छवि देखने के लिए दूर दूर से श्रध्दालु आज के दिन मथुरा पहुंचते हैं. इस दिन मंदिरों को सजाया जाता है. जन्माष्टमी के दिन स्त्री और पुरुष 12 बजे तक व्रत रखते हैं.

जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और इस दिन कान्हा को झूला झुलाया जाता है. इस त्यौहार के दौरान भगवान श्री कृष्ण के जन्मस्थान मथुरा-वृंदावन में रासलीला का आयोजन किया जाता है. कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, कन्हैया अष्टमी, कन्हैया आठें, श्री कृष्ण जयंती और श्रीजी जयंती नामों से भी जाना जाता है.

जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त

इस साल जन्माष्टमी  24 अगस्त 2019 को मनाई जाएगी. जन्माष्टमी का निशीथ पूजी मुहूर्त 25 अगस्त को रात 12 बजकर  01 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 45 मिनट पर खत्म हो जाएगा. पूजा की अवधि कुल 44 मिनट है. जन्माष्टमी पारणा मुहूर्त 25 अगस्त को सुबह 05 बजकर 54 मिनट के बाद होगा.

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दही हांडी

जन्माष्टमी वाले दिन दही हांडी का भी आयोजन किया जाता है. दही हांडी का उत्सव मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में धूम-धाम से मनाया जाता है. इस परंपरा में दही हांडी को रंग बिरंगे कपड़े पहने युवक यानी गोविंदा दही की हांडी तक पहुंचने के लिए मानवीय पिरामिड के जरिए पहुंचता है और हवा में लटकती हुई हांडी को तोड़ता हैं और इस मौके पर गोविंदा आला रे की गूंज रहती है. कहा जाता है कि बाल्य काल में भगवान श्री कृष्ण अपनी ग्वाला टोली के साथ घर-घर जाकर दूध, दही, मक्खन को लेकर अपने दोस्तों में बांट दिया करते थे. इसी वजह से हर साल दही हांडी का आयोजन किया जाता है.

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