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कब है पौष पूर्णिमा, जानिए इस दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

पौष पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 2025 में पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को पड़ेगी। इस दिन चंद्रमा पूर्ण रूप से खिला हुआ होता है, और धार्मिक दृष्टि से यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।

Paush Purnima
inkhbar News
  • Last Updated: January 12, 2025 08:54:11 IST

नई दिल्ली: पौष पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 2025 में पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को पड़ेगी। इस दिन चंद्रमा पूर्ण रूप से खिला हुआ होता है, और धार्मिक दृष्टि से यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। इसी दिन के साथ महाकुंभ की भी शुरुआत होगी।

पौष पूर्णिमा का महत्व

पौष पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इसे विशेष रूप से स्नान, दान और पूजा के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा की शुद्धि होती है। इसके अलावा, यह दिन दान-पुण्य करने के लिए भी खास है। कहते हैं कि पौष पूर्णिमा पर किए गए दान का फल कई गुना अधिक मिलता है। इस दिन माघ मास की शुरुआत भी होती है, जो धार्मिक गतिविधियों और व्रत-उपवासों के लिए पवित्र माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु- मां लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा करने से सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।

पौष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 जनवरी को दोपहर 05 बजकर 03 मिनट पर हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 14 जनवरी को रात्रि को 03 बजकर 56 मिनट पर होगा। ऐसे में पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को मनाई जाएगी। इसी दिन से महाकुंभ की शुरुआत होगी। पौष पूर्णिमा की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक से होगी। इसके साथ ही गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 42 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक रहेगा और दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त होगा।

पौष पूर्णिमा की पूजा विधि

1. स्नान: सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, सरोवर, या घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
2. संकल्प: भगवान विष्णु और चंद्रदेव का ध्यान करते हुए व्रत और दान का संकल्प लें।
3. पूजा: भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं। उन्हें तुलसी, पीले फूल, चावल और भोग अर्पित करें।
4. चंद्र पूजन: रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें और उनकी पूजा करें।
5. दान-पुण्य: गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें। यह दिन विशेष रूप से अन्नदान के लिए उपयुक्त है।

क्या करें और क्या न करें

पौष पूर्णिमा का महत्व ज्यादा माना जाता है क्योंकि इस तिथि पर मां लक्ष्मी अपनी अष्ट सिद्धियों को जागृत करती हैं और पृथ्वी पर भ्रमण करते हुए व्यक्ति को धन-धान्य प्रदान करती हैं। इस दिन झूठ बोलने और किसी का दिल दुखाने से बचें। साफ-सफाई और सात्विक भोजन का पालन करें। नकारात्मक विचारों और कार्यों से दूर रहें।

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