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कब है रथ सप्तमी, जानें इस दिन का महत्व, सही तिथि और शुभ मुहूर्त

हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। रथ सप्तमी की आत्मा के कारक सूर्य देव को समर्पित है और इस दिन सूर्य देव की उपासना की जाती है। आइए जानते हैं कि इस बार रथ सप्तमी का पर्व कब मनाया जाएगा और इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त कब हैं?

Rath Saptami
inkhbar News
  • Last Updated: January 29, 2025 16:01:17 IST

नई दिल्ली: हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। रथ सप्तमी की आत्मा के कारक सूर्य देव को समर्पित है और इस दिन सूर्य देव की उपासना की जाती है। आइए जानते हैं कि इस बार रथ सप्तमी का पर्व कब मनाया जाएगा और इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त कब हैं?

माना जाता है सूर्य देव का अवतरण माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। सप्तमी का पर्व इस शुभ अवसर पर मनाया जाता है। हिंदू धर्म की सबसे श्रेष्ठ सप्तमियों में रथ सप्तमी को माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की सच्चे मन से पूजा करने वाले को आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है। इसके अलावा करियर और कारोबार में भी तरक्की मिलने के साथ सभी बिगड़े काम भी बन जाते हैं।

कब है रथ सप्तमी ?

हिंदू पंचांग के अनुसार, सोमवार 4 फरवरी को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को इसकी शुरुआत होगी। वहीं मंगलवार 5 फरवरी को रात 2 बजकर 30 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार 4 फरवरी को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा।

रथ सप्तमी का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से लोगों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही खुश होकर भगवान भास्कर अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन सूर्य की ओर मुख करके सूर्य को जल देने से त्वचा रोग दूर होते हैं और आंखों की रौशनी भी बढ़ती है। इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास से रखने पर पिता पुत्र में प्रेम बना रहता है।

जानें रथ सप्तमी पूजा विधि

रथ सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इस समय सूर्य देव को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें। सभी कामों से निपटने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर पीले रंग का वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। अब विधि-विधान से भगवान भास्कर और विष्णु जी की पूजा करें। इस समय सूर्य चालीसा और सूर्य मंत्र का जप करें। पूजा का समापन आरती से करें। पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान दें।

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