नई दिल्ली: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। प्रत्येक वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे जीवन में सुख-शांति और पापों से मुक्ति दिलाने वाला भी माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
वैदिक पंचांग के अनुसार, 25 जनवरी 2025 को षट्तिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। एकादशी तिथि 24 जनवरी शाम 7 बजकर 25 मिनट से शुरू होगी और 25 जनवरी रात 8 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। व्रत का पारण 26 जनवरी सुबह 7 बजकर 12 मिनट से लेकर 9 बजकर 21 मिनट के बीच होगा।
षटतिला एकादशी का नाम ‘षटतिला’ इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें तिल का छह प्रकार से उपयोग किया जाता है। इसे धर्म और स्वास्थ्य दोनों दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन तिल का दान और उपयोग विशेष पुण्य प्रदान करता है।
1. तिल से स्नान करना।
2. तिल युक्त भोजन ग्रहण करना।
3. तिल का दान करना।
4. तिल का हवन करना।
5. तिल का लेप लगाना।
6. तिल का जल में उपयोग करना।
1. प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. पूजन स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
3. भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को पीले वस्त्र अर्पित करें।
4. धूप, दीप, अक्षत, फूल और तिल से भगवान विष्णु का पूजन करें।
5. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
6. जरूरतमंदों को भोजन, तिल और गर्म कपड़े दान करें।
7. इस दिन निराहार व्रत रखें और फलाहार का सेवन करें।
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