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कब है इस साल का पहला प्रदोष व्रत, जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए रखा जाता है और इसे सुख, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत रखा जाता है।

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  • Last Updated: January 5, 2025 10:25:07 IST

नई दिल्ली: प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए रखा जाता है और इसे सुख, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत को विशेष रूप से संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति और परिवार में सुख-शांति बनाए रखने के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।

साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, 11 जनवरी को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 6 बजकर 33 मिनट पर 12 जनवरी को सुबह होगा। बुध प्रदोष का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ ग्रहों के राजा बुध की कृपा प्राप्त करने का भी अवसर मिलता है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 11 जनवरी 2025 को जनवरी का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। जनवरी का पहला प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इस प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा।

शुभ मुहूर्त

11 जनवरी 2025 को प्रदोष काल शाम 5 बजकर 43 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. इस दौरान आप शिवजी की पूजा कर सकते हैं। जनवरी 2025 का पहला शनि प्रदोष व्रत अद्भुत योगों और शुभ मुहूर्तों के साथ आ रहा है। यह व्रत न सिर्फ जीवन की बाधाओं को दूर करता है, बल्कि सुख-शांति और संतान सुख की भी प्राप्ति कराता है। पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत का पालन करने से भगवान शिव की कृपा बरसती है।

व्रत विधि

1. प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
2. पूरे दिन निराहार या फलाहार रहकर भगवान शिव का ध्यान करें।
3. सायंकाल प्रदोष काल में शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र चढ़ाएं।
4. शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान शिव की आरती करें।
5. व्रत का पारण अगले दिन सुबह किया जाता है।

प्रदोष व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इस व्रत से दांपत्य जीवन में सुख और शांति आती है। साथ ही, यह व्रत पितृदोष और ग्रह दोषों को शांत करने में भी सहायक माना जाता है।

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