नई दिल्ली। महाकुंभ में हजारो साधु-संत अमृत स्नान करने और तपस्या करने पहुंचे। अब वसंत पंचमी के अमृत स्नान के बाद नागा साधु धीरे-धीरे वापस लौटने लगे हैं। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में साधु-संतों के अद्भुत रूप और उनके साधना करने के तरीके भी देखने को मिले। जिनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं। इन साधुओं में महिला नागा साधु भी शामिल हैं। महिला नागा साधुओं के बारे में जानने के लिए हर कोई उत्सुक रहता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कुंभ के बाद महिला नागा साधु कहां जाती हैं और क्या करती हैं। उनका जीवन कैसा होता है।
एकांत में करती हैं ये काम
कुंभ के बाद महिला नागा साधु अपने- अपने अखाड़ों में वापस लौटती हैं। वहां रहकर वे तपस्या और साधना करती हैं। इसके अलावा वे धार्मिक शिक्षा भी देती हैं। कई बार वे जंगलों और गुफाओं में एकांत में रहकर तपस्या करती हैं। महिला नागा साधुओं को माता और अवधूतनी कहा जाता है। कुंभ में भी महिला नागा साधुओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। वे अमृत स्नान और शाही स्नान में भी हिस्सा लेती हैं। लेकिन वे बिना कपड़ों के नदी में स्नान नहीं कर सकतीं।
जीवित रहते हुए करती हैं पिंडदान
कठिन तपस्या के बाद महिला नागा साधु का दर्जा प्राप्त होता है। कई सालों की तपस्या के बाद उन्हें नागा साधु की दीक्षा मिलती है। महिला नागा साधुओं को अपने बाल मुंडवाने होते हैं और खुद ही अपना पिंडदान करना होता है। इसके बाद दीक्षा लेने के बाद उन्हें नया नाम मिलता है। उन्हें सांसारिक जीवन से पूरी तरह कट जाना होता है और केवल भगवान की भक्ति में लीन रहना होता है।
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