Inkhabar
  • होम
  • अध्यात्म
  • सबसे पहले किसने रखा था करवा चौथ का व्रत, जानिए कैसे है इसका महाभारत से गहरा संबंध?

सबसे पहले किसने रखा था करवा चौथ का व्रत, जानिए कैसे है इसका महाभारत से गहरा संबंध?

नई दिल्ली: करवा चौथ का व्रत भारतीय समाज में विवाहित स्त्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि […]

Inkhabar
inkhbar News
  • Last Updated: October 15, 2024 14:59:09 IST

नई दिल्ली: करवा चौथ का व्रत भारतीय समाज में विवाहित स्त्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि करवा चौथ व्रत की शुरुआत कब और कैसे हुई? महाभारत के साथ इसका क्या संबंध है? आइए जानें इस व्रत की पौराणिक कथा और इतिहास।

करवा चौथ व्रत की पहली कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ का व्रत सबसे पहले एक पतिव्रता स्त्री ‘करवा’ ने रखा था। कहा जाता है कि करवा नाम की एक महिला के पति को एक मगरमच्छ ने पकड़ लिया था और पानी में खींच लिया था। करवा ने अपने पति की जान बचाने के लिए शक्ति से तप किया और यमराज से प्रार्थना की कि उसके पति की रक्षा करें। उसकी निष्ठा और प्रेम से प्रसन्न होकर यमराज ने मगरमच्छ को मार दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया। तब से ही इस व्रत का नाम ‘करवा चौथ’ पड़ा और महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन व्रत करने लगीं।

महाभारत से करवा चौथ का संबंध

करवा चौथ का एक अन्य उल्लेख महाभारत से भी जुड़ा हुआ है। महाभारत के अनुसार, जब पांडव वनवास में थे, तब द्रौपदी ने भी करवा चौथ का व्रत किया था। कथा के अनुसार, एक समय अर्जुन तपस्या के लिए नीलगिरि पर्वत पर गए थे, और बाकी पांडव कठिनाइयों का सामना कर रहे थे। तब द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से मदद मांगने गईं। भगवान कृष्ण ने उन्हें बताया कि अगर वह करवा चौथ का व्रत रखें और चंद्रमा को अर्घ्य दें, तो उनके सभी संकट दूर हो जाएंगे। द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की सलाह पर यह व्रत किया और पांडवों की सभी कठिनाइयां दूर हो गईं। इस प्रकार करवा चौथ का संबंध महाभारत से भी जुड़ा है।

Also Read…

इश्क में 2 मासूम बच्चे बन रहे थे रोड़ा, महिला ने तकिये से दम घोंटकर कर मार डाला

करवा चौथ व्रत की परंपरा

करवा चौथ व्रत की परंपरा आज भी उसी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाई जाती है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी (खाने की थाली) खाती हैं, जो उनकी सास उन्हें देती हैं। इसके बाद वे पूरे दिन निर्जल व्रत करती हैं और शाम को चंद्रमा को देखकर अर्घ्य देकर अपना व्रत समाप्त करती हैं। व्रत के दौरान महिलाएं करवा माता की कथा सुनती हैं, जिसमें करवा की निष्ठा और प्रेम की कहानी का वर्णन होता है।

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ का व्रत न केवल पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करता है, बल्कि यह एक सामाजिक और पारिवारिक आयोजन का भी प्रतीक है। इस दिन महिलाएं सज-धज कर पूजा करती हैं और परिवार के साथ मिलकर इसे मनाती हैं। करवा चौथ व्रत केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का हिस्सा भी है।

Also Read…

जब तक उनका खून नहीं बहता इंसाफ नहीं मिलेगा, योगी से मिलने से पहले गोपाल मिश्रा की पत्नी ने बता दिए इरादे

युद्ध में मरते समय दुर्योधन ने श्रीकृष्ण को क्यों दिखाई थी तीन उंगलियां, जानिए क्या है इसका का रहस्य