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पांडवों ने अपने पिता पांडु की लाश का मांस क्यों खाया था? जानिए रहस्य

Mahabharat: पौराणिक युग में लड़ा गया सबसे बड़ा महायुद्ध महाभारत को माना जाता है। महाभारत काल के कई ऐसे रहस्य है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इस समय से जुड़ा हुआ एक वाकया है जब पांडवों ने अपने पिता पांडु की मृत्यु के बाद उसका मांस खाया था। लेकिन ऐसा क्या हुआ […]

Mahabharat
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  • Last Updated: August 22, 2024 09:21:02 IST

Mahabharat: पौराणिक युग में लड़ा गया सबसे बड़ा महायुद्ध महाभारत को माना जाता है। महाभारत काल के कई ऐसे रहस्य है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इस समय से जुड़ा हुआ एक वाकया है जब पांडवों ने अपने पिता पांडु की मृत्यु के बाद उसका मांस खाया था। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि पुत्र को अपने पिता का ही मांस खाना पड़ा। आइये जानते हैं महाभारत की इस कहानी के बारे में…

पांडु के वीर्य से उत्पन्न नहीं हुए थे पांडव

दरअसल युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव पांडु के वीर्य से उत्पन्न नहीं हुए थे। कुंती ने देवताओं का आवाहन करके युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन को जन्म दिया। वहीं पांडु की दूसरी पत्नी माद्री ने भी कुंती के मिले वरदान के मंत्रो से नकुल और सहदेव को जन्म दिया। पांडु को हमेशा इस बात का दुःख रहा है कि उनके पुत्रों में उनका गुण नहीं है। उनके वीर्य से न उत्पन्न होने के कारण पांचों पांडवों में पांडु की तरह ज्ञान, बुद्धिमता और कौशल की कमी थी।

ऐसा मिला पांडु को पिता का ज्ञान

पांडु को वरदान मिला हुआ था कि उनकी मृत्यु के बाद अगर उनके पाँचों बेटे उनका मांस खा ले तो उनके अंदर अपने पिता के सारे गुण आ जायेंगे। जब पांडु की मृत्यु हो गई तो अपने पिता की इच्छानुसार पांचों भाइयों ने मिल कर मांस खाया। उनके शरीर का मांस मिल बांट कर खाने से पांडवों के अंदर पिता का गुण स्थानांतरित हो गया। ऐसा भी कहा जाता है कि सबसे ज्यादा मांस सहदेव ने खाया था। इस वजह से सहदेव के अंदर ज्यादा गुण था।

सहदेव ने खाए मस्तिष्क के टुकड़े

एक अन्य कथा के अनुसार सिर्फ सहदेव ने ही पिता का मांस खाया था। सहदेव ने अपने पिता के मस्तिष्क के तीन हिस्से किये। पहला हिस्सा खाने से सहदेव को इतिहास का ज्ञान मिला। दूसरा हिस्सा खाने से वर्तमान और तीसरे टुकड़े को खाने से भविष्य का ज्ञान मिला। इस वजह से सहदेव भविष्य में होने वाली घटनाओं को पहले ही देख लेता था।

 

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