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इंडिया न्यूज का खुलासा: ऑक्सीजन की कमी से हुई गोरखपुर में बच्चों की मौत

24 घंटे बीत गए, हर कोई यही सवाल कर रहा है कि गोरखपुर में मासूमों की मौत का गुनहगार कौन है ? सीएम योगी के शहर में किसने इतनी बड़ी लापरवाही की ? सरकार भले ही कह रही हो को ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत नहीं हुई लेकिन इंडिया न्य़ूज की पड़ताल में खुलासा हुआ है

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  • Last Updated: August 12, 2017 17:17:09 IST
लखनऊ: 24 घंटे बीत गए, हर कोई यही सवाल कर रहा है कि गोरखपुर में मासूमों की मौत का गुनहगार कौन है ? सीएम योगी के शहर में किसने इतनी बड़ी लापरवाही की ? सरकार भले ही कह रही हो को ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत नहीं हुई लेकिन इंडिया न्य़ूज की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई. 
 
इंडिया न्यूज ने अस्पताल के ऑक्सीजन प्लांट का दौरा किया तो पाया कि प्लांट में लिक्विड ऑक्सीजन की मात्रा जीरो थी. प्लांट में लगा मीटर इसकी गवाही दे रहा था. सूबे के चिकित्सा शिक्षा मंत्री और अस्पताल का दावा था कि ऑक्सीजन की कमी से मौतें नहीं हुई लेकिन प्लांट में ऑक्सीजन की मात्रा बताने वाले मीटर ने इस दावे की कलई खोल दी.
 
 
एक्सक्लूसिव दस्तावेज इंडिया न्यूज़ के पास हैं, जिसमें साफ-साफ दिख रहा है कि अस्पताल प्रशासन ने अगर अपनी जिम्मेदारी निभाई होती, तो इतने बड़े पैमाने पर बच्चों की जान नहीं जाती. इंडिया न्यूज़ के पास सेंट्रल पाइपलाइन ऑपरेटर की वो चिट्ठी है. जिसमें साफ-साफ लिखा है कि 10 अगस्त की रात ऑक्सीजन सप्लाई ठप कर दी जाएगी और इससे अगर मरीजों की जान को खतरा होगा, तो उसकी जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की होगी.
 
 
ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली पुष्पा सेल्स कंपनी ने भी 8 अगस्त को चिट्ठी लिखकर 2-3 दिनों के भीतर ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने की चेतावनी दी थी. 9 अगस्त को पुष्पा सेल्स के डायरेक्टर ने यूपी के चिकित्सा-शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन को भी कहा था कि मरीजों के लिए 24 घंटे ऑक्सीजन सप्लाई जरूरी है और ऐसा तभी होगा, जब बकाया पैसे का भुगतान हो.
 
जबकि हादसे के बाद निलंबित किए गए बीआरडी कॉलेज का प्रिंसिपल अब भी कह रहे हैं कि जैसे ही बजट मिला. भुगतान किया गया. मासूमों की मौत पर लीपापोती भी शुरू हो गई है. जो कंपनी ऑक्सीजन सप्लाई थी, उस पर पुलिस ने छापेमारी की । लेकिन अस्पताल की लापरवाही पर सबने आंखें मूंद रखी हैं.
 
 
बताया जा रहा है कि अस्पताल पर पुष्पा सेल्स कंपनी का 6 महीने का करीब 60 लाख रुपया बकाया था. जबकि नियम कहता है कि ये लिमिट 10 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो सकती और बिल देने के 15 दिन के अंदर पैसे का भुगतान करना ही होता है. लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया और नतीजा मासूमों की सांसें रुक गईं.
 
अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने के बाद जब बच्चों की मौत होने लगी तो लखनऊ, फैजाबाद से आनन फानन में ऑक्सीजन सिलेंडर मंगाकर हालात पर काबू की कोशिश हुई. बच्चों की मौत के बाद पता चला है कि अस्पताल को ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाली कंपनी ने पेमेंट न होने पर लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई बंद कर दी थी.
 
 
अस्पताल को ऑक्सिजन आपूर्ति करने वाली फर्म ने एक अगस्त को मेडिकल कॉलेज को चिट्ठी लिखकर 63 लाख के बकाए भुगतान ना होने पर ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने की चेतावनी दी थी. इस बीच एक और खुलासा हुआ है. अस्पताल के ऑक्सीजन प्लांट कर्मियों ने ऑक्सीजन की कमी की जानकारी 3 अगस्त को ही प्रबंधन को दे दी थी लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया.

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