Inkhabar
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को माना असंवैधानिक, अब बहुविवाह और हलाला की बारी !

सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को माना असंवैधानिक, अब बहुविवाह और हलाला की बारी !

तीन तलाक को लेकर पिछले दो साल से जो बहस छिड़ी थी, क्या इतने से ही हिंदुस्तान की मुस्लिम महिलाओँ को उनका हक मिल जाएगा. जब तक हलाला और बहुविवाह का मामला मुस्लिम धर्म में रहेगा, तब तक उनकी स्थिति बेहतर नहीं हो सकती. तीन तलाक के बाद अब हलाला और बहुविवाह की बारी है. देश में आज से तीन तलाक बंद हो गया है. मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खौफ से आजाद हो गई हैं.

Triple Talaq Verdict, Triple talaq verdict Live, Triple talaq case hearing, Supreme Court ruling on triple talaq, Justice JS Khehar, Triple Talaq, All India Muslim Personal Law Board, Supreme Court, Supreme Court Triple Talaq Verdict, India, Islam, National News
inkhbar News
  • Last Updated: August 22, 2017 15:48:48 IST
नई दिल्ली. तीन तलाक को लेकर पिछले दो साल से जो बहस छिड़ी थी, क्या इतने से ही हिंदुस्तान की मुस्लिम महिलाओँ को उनका हक मिल जाएगा. जब तक हलाला और बहुविवाह का मामला मुस्लिम धर्म में रहेगा, तब तक उनकी स्थिति बेहतर नहीं हो सकती. तीन तलाक के बाद अब हलाला और बहुविवाह की बारी है. देश में आज से तीन तलाक बंद हो गया है. मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खौफ से आजाद हो गई हैं. 
 
शरिया के मुताबिक, निकाह हलाला के मामले में महिलाओँ के साथ शोषण होता है. शरिया में महिलाओँ की मर्जी पर हलाला को छोड़ा गया है मगर अब इसका इस्तेमाल जोर-जबर्दस्ती से हो रहा है. अब असल सवाल यही है कि क्या मुस्लिम महिलाओं को बहुविवाह और हलाला से आजादी मिलेगी. इसके साथ ही आज हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर वे कौन सी याचिकाएँ हैं, जिन्होंने तीन तलाक को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई.
 
तीन तलाक को लेकर यूं तो देश भर में ऐसे हजारों मामले हैं और हजारों ऐसी कहानियां है जो ये साबित करती हैं कि तीन तलाक ने कैसे मुस्लिम महिलाओं के अधिकार का हनन कर ऱखा था. लेकिन इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट में देश के अलग-अलग हिस्सों से तीन तलाक के विरोध में जो 6 याचिकाएं आईं उन्होंने तीन तलाक से आजादी के एतिहासिक फैसले में बड़ी भूमिका निभाई.  
 
मार्च 201 6 में  उतराखंड की शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तीन तलाक, हलाला निकाह और बहु-विवाह की व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी.  शायरा बानो ने शरीयत यानि मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लीकेशन कानून 1937 की धारा 2 की संवैधानिकता को चुनौती दी थी. कोर्ट में दाखिल याचिका में शायरा बानो ने कहा था कि मुस्लिम महिलाओं के हाथ बंधे होते हैं और उन पर तलाक की तलवार लटकती रहती है. वहीं पति के पास निर्विवाद रूप से अधिकार होते हैं. यह भेदभाव और असमानता एकतरफा तीन बार तलाक के तौर पर सामने आती है. 
 
शायरा बानो के अलावा दूसरी जो अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई वो जयपुर की आफरीन रहमान की थी. आफरीन रहमान को ने मैरिज पोर्टल से शादी की थी. आफरीन को उसके पति रहमान ने स्पीड पोस्ट के जरिए तलाक का पत्र भेजा था.  जिसके बाद आफरीन ने सुप्रीम कोर्ट में ‘तीन तलाक’ को खत्म करने की मांग की थी. 
 
ट्रिपल तलाक को अंवैधानिक और मुस्लिम महिलाओं के गौरवपूर्ण जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए पश्चिम बंगाल के हावडा की इशरत जहां ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिस की थी इशरत ने अपनी याचिका में कहा था कि उसके पति ने दुबई से ही फोन पर तलाक दे दिया और चारों बच्चों को जबरन छीन लिया. इशरत ने याचिका में कहा था कि उसका निकाह 2001 में हुआ था और तलाक के बाद उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है. इशरत ने अपनी याचिका में ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी होने के साथ-साथ इसे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन भी बताया.
 
ऐसे ही साल 2016 में सहारनपुर की आतिया साबरी के साथ भी हुआ आतिया साबरी के पति ने कागज पर तीन तलाक लिखकर आतिया से अपना रिश्ता तोड़ लिया था. आतिया की शादी साल 2012 में हुई थी. 2 बेटियों की मां आतिया साबरी का आरोप था कि लगातार 2 बेटियां के पैदा होने से उनके शौहर और ससुर नाराज थे और वो उसे घर से निकालना चाहते थे.
 
आतिया का तो आरोप यहां तक था कि उसे दहेज के लिए ससुराल में प्रताड़ित किया गया दहेज में मिले सामान को ससुराल वालों ने बेच दिया और लाखों रूपये कैश की मांग की गई इतना ही नहीं दिसंबर 2015 में उसे ससुराल में जहर पिलाकर मार डालने की कोशिश की गई. लेकिन पडोसियों की वजह से वो जिंदा बच गई. जिसके बाद वो मायके चली गई, जहां वो करीब डेढ साल तक रही.
 
2016 में यूपी के रामपुर में रहने वाली गुलशन परवीन को नोएडा में काम करने वाले पति ने 10 रुपये के स्टांप पेपर पर तीन तलाकनामा भेज दिया. गुलशन की 2013 में शादी हुई थी और उसका दो साल का बेटा भी है. 
 
एक अर्जी थी यूपी के एक एनजीओ की.  फरहा फैज़ मुस्लिम वोमेन क्वेस्ट नाम का एनजीओ उत्तर प्रदेश में चलाती हैं. इसके साथ ही वो राष्ट्रवादी मुस्लिम महिला संघ की अध्यक्ष भी हैं. फरहा फैज ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर ट्रिपल तलाक को खत्म करने के मांग की थी । फरहा फैज़ ने अपनी याचिका में कहा था कि ट्रिपल तलाक कुरान के तहत देने वाले तलाक के अंतर्गत नहीं आता. ट्रिपल तलाक की वजह से मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन होता है. शादी, तलाक़ और गुजारा भत्ता के लिए कोई सही नियम न होने कि वजह से महिलाएं लिंगभेद का शिकार हो रही हैं. 
 
फरहा फैज का याचिका में ये भी आरोप था कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड एक रजिस्टर्ड सोसाइटी है और वो पूरी कौम के अधिकारों का फैसला नहीं कर सकती. इस तरह सुप्रीम कोर्ट के पांच जजो की बैंच ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया है.   
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

 

Tags