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विदाई मैच पर युवराज सिंह ने पोस्ट किया आशीष नेहरा के नाम ये भावुक संदेश

टीम इंडिया ने जीत के साथ आशीष नेहरा को विदाई दी. नेहरा के आखिरी मैच में उनके साथी खिलाड़ियों ने भी भावुक संदेश लिखे. इनमें से एक हैं युवराज सिंह ने जिन्होंने अपने फेसबुक पर नेहरा के नाम भावुक संदेश लिखा

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  • Last Updated: November 2, 2017 13:13:14 IST
नई दिल्ली: टीम इंडिया और न्यूजीलैंड के बीच बुधवार को खेला गया पहला टी-20 मुकाबला तेज गेंदबाज आशीष नेहरा के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करिया का आखिरी मैच था. 38 साल के आशीष नेहरा ने अपने होम ग्राउंड दिल्ली के फिरोज शाह कोटला के मैदान पर आखिरी मैच खेला. नेहरा के आखिरी मैच में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने उनका पूरा सम्मान किया. कप्तान कोहली ने आशीष नेहरा से मैच का पहला और आखिरी ओवर करा कर सबका दिल जीत लिया. टीम इंडिया ने जीत के साथ नेहरा को विदाई दी. नेहरा के आखिरी मैच में उनके साथी खिलाड़ियों ने भी भावुक संदेश लिखे. इनमें से एक हैं युवराज सिंह जिन्होंने अपने फेसबुक पर नेहरा के नाम भावुक संदेश लिखा. जो कि इस प्रकार है.
 
आशीष नेहरा– अपने दोस्त के बारे में पहली चीज जो मैं कहना चाहता हूं कि वो है उनकी ईमानदारी. वो दिला का बहुत साफ है. शायद को पवित्र पुस्तक ही उससे ज्यादा ईमानदार होगी. मैं जानता हूं कि कई लोग इसे पढ़कर हैरान हो जाएंगे. कई बार ऐसा होता है कि हम किसी इंसान और उसकी जिंदगी को लेकर जजमेंटर हो जाते हैं. ऐसा अक्सर मशहूर हस्तियों के साथ होता है. आशू कई लोगों के साथ बहुत ईमानदार थे जिस कारण उन्हें इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा. लेकिन मेरे लिए वो हमेशा आशू और नेहरा जी रहे, वो दिल के बहुत साफ इंसान हैं, ईमानदार के साथ-साथ मजेदार भी, जो हमेशा अपनी टीम की उम्मीदों पर खरा उतरा. मैं नेहरा से पहली बार उस समय मिला जब हम अंडर-19 के लिए खेलते थे, उस समय नेहरा का चयन टीम इंडिया के लिए हो गया था. वो हरभजन के साथ रूम शेयर कर रहे थे.
 
मैं भज्जी से मिलने उनके कमरे में गया तो वहां देखा कि एक लंबा, दुबला-पतला लड़का है जो बिना हिले खड़ा नहीं रह पा रहा था. वह एक ऐसी बिल्ली की तरह थे जिसे बहुत गर्म छत के नीचे छोड़ दिया गया हो. वह कुछ देर शांत बैठेगा और फिर अचानक स्ट्रेचिंग या फिर अपना मुंह मरोड़ने लगेगा या आंखे घुमाने लगेगा. नेहरा को पहली बार देखकर मुझे बहुत हंसी आई और जैसे लगा कि किसी ने उनकी पैंट में चीटियां छोड़ दी हैं. लेकिन जब मैं टीम इंडिया के लिए खेला तो लगा कि आशू ऐसे ही हैं. कुछ लोग स्थिर खड़े नहीं सकते हैं. चीटियों की बात है तो, वो उनकी कड़ी मेहनत का हिस्सा हैं जिसके बारे में बाद में बताउंगा. 
 
सौरव गांगुली ने आशू को पोपट नाम दिया था क्योंकि वो बहुत बोलता था. यहां तक कि मेरे हिसाब से वह पानी के अंदर भी बातें कर सकता हैं. वह बुहत मजाकिया भी है. मेरे सामने उनको कुछ बोलने का जरूरत नहीं है. उनकी बॉडी लग्वेज इतनी फनी है कि अगर आप आशीष नेहरा के साथ तो आप का दिन खराब नहीं जा सकता…नो चांस. वो बंदा आप को हंसा-हंसा के गिरा देगा. मैं ये बाद आशू को कभी नहीं बताया कि मुझे उनके प्रेरणा मिली.  मैं देखा कि अगर आशू 38 साल की उम्र में कई इंजरी और सर्जरी के बाद भी बॉलिंग कर सकता है तो मैं भी 36 की उम्र में ये सब कर सकता हूं. सच तो यही है कि ये बात मुझे आज भी कड़ी मेहन के लिए प्रेरित करती है. आशू की 11 सर्जरी हुई, कोहनी, हिप, एडी, उंगली, दोनों घुटनों की सर्जरी हो चुकी ह. इसके बाद भी कड़ी मेहनत ने उन्हें खेल में बनाए रखा.
 
मुझे याद है जब 2003 के वर्ल्ड कप में उनकी एडी बुरी तरह चोटिल हो गई थी. यहां तक की अगले मैच में इंग्लैंड के खिलाफ खेलने का कोई चांस नहीं था, लेकिन नेहरा जी की जिद थी कि वे अगला मैच खेलेंगे. और अंत में डर्बन के होटल स्टाफ को भी पता चल गया कि वे अगला मैच खेलने के लिए कितने उत्सुक हैं. अगले 72 घंटे तक उस ने 30-40 बार बर्फ से अपने एडी की सेकाई की. बाहर की दुनिया सोच रही थी कि उसे कोई परवाह नहीं लेकिन हम जानते थे कि उसने किता किया. आशू ने 23 रन देकर 6 विकेट चटकाए और भारत ने इंग्लैंड को 82 रन से हराया. आशू एक टीम मैन है. 2011 के वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मैच में पाकिस्तान के खिलाफ अच्छी गेंदबाजी की लेकिन संयोग वस इंजरी के कारण फाइनल नहीं खेल पाए. मुझे पता है कि बहुत से प्लेयर स्वार्थी, ब्रॉडिंग मोड होते हैं लेकिन इनमें ऐसा नहीं. वो हसता रहता था और सबकी सहायता के लिए हमेशा उपबल्ध भी रहता था.
 
वे श्रीलंका के खिलाफ फाइनल के लिए मुंबई में हमारे साथ थे और हमने ड्रिक्स का आयोजन रखा था. इस दौरान वे तैलिया भी दिया और यहां तक कि जहां आवश्यकता थी सलाह भी दिए. किसी बाहरी के लिए यह अप्रासंगिक हो सकता है लेकिन जब आप एक टीम के लिए खेलते हैं और आपके पास एक वरिष्ठ सदस्य आसानी से बैगग्राउंड रोल में खुद को ढाल लेता है तो यह बेहद उत्साही होता है. नेहरा के पास अच्छा परिवार है, उनके दो बच्चे है. बेटा आरुष और बेटी अराएना. आरुष भी बॉलिंग करता है लेकिन उसका एक्शन पिता से बेहतर हैं. आशू अपनी बैटिंग के लिए कभी विनम्र नहीं था. मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाता जब वो बेशर्मी से अपनी बैटिंग को लिजेंड्री कहता है. यही नहीं, वो ये भी कहता है कि अगर वो बल्लेबाज होता तो 45 की उम्र तक मैच खेलता. लेकिन उनको पता है कि यह उनका आखिरी मैच है, वो भी उनके होम ग्राउंड पर. दुनिया देख रही है. क्या पता वो जिताई पारी खेले. मुझे यकीन है कि मैं अकेला नहीं हूं जो आशू के करियर की पर्फेक्ट एंडिंग चाहता है.
 

 

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