BCCI Age Verification Programme: क्रिकेट जेंटलमेट और साफ़ सुथरा गेम माना जाता है लेकिन फि इस खेल में समय-समय पर उम्र संबंधी धोखाधड़ी के मामले सामने आते रहे हैं। लेकिन अब यह आसान नहीं होगा। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने उम्र संबंधी धोखाधड़ी को रोकने के लिए आयु सत्यापन कार्यक्रम (एवीपी) में बदलाव किया है। इस साल से बीसीसीआई उन खिलाड़ियों के लिए दूसरी बार बोन टेस्ट की अनुमति देगा, जिनकी ‘बोन एज’ तय सीमा से अधिक है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी खिलाड़ी अतिरिक्त सत्र खेलने से वंचित न रहे।
अभी तक बीसीसीआई 14-16 वर्ष की आयु के लड़कों के लिए बोन टेस्ट कराता रहा है। मौजूदा नियम के अनुसार, किसी खिलाड़ी की ‘बोन एज’ सामने आने के बाद उसमें एक साल और जोड़ दिया जाता है। इस बढ़ी हुई आयु के आधार पर उस खिलाड़ी को आयु आधारित क्रिकेट टूर्नामेंट में खेलने की अनुमति दी जाती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी खिलाड़ी की ‘बोन एज’ 14.8 है, तो उसे बढ़ाकर 15.8 कर दिया जाता है। इस ‘बोन एज’ के अनुसार वह खिलाड़ी अंडर-16 क्रिकेट में अगला सत्र खेलने के लिए पात्र हो जाता है।
अब नए आयु सत्यापन कार्यक्रम (एवीपी) के तहत अगर कोई खिलाड़ी अपने ‘जन्म प्रमाण पत्र’ के अनुसार 16 साल से कम उम्र का है, तो उसे दूसरा ‘बोन टेस्ट’ कराने की अनुमति दी जाएगी। अगर टेस्ट के बाद भी उसकी उम्र 16 साल से कम पाई जाती है, तो उसे अगले सीजन में खेलने की अनुमति दी जाएगी। 12-15 आयु वर्ग की लड़कियों के लिए भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
आम धारणा है कि ‘बोन टेस्ट’ को 100 फीसदी सही नहीं माना जा सकता, यह भी दूसरा टेस्ट कराने का एक कारण हो सकता है। पिछले हफ्ते हुई बीसीसीआई की बैठक में दूसरा टेस्ट कराने के नियम को मंजूरी दी गई है। आपको बता दें कि यह टेस्ट एक्स-रे के जरिए किया जाता है और खिलाड़ियों को हर घरेलू सीजन से पहले इस टेस्ट से गुजरना पड़ता है।