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इंग्लैंड सीरीज से पहले कोर्ट ने BCCI को दिया बड़ा झटका, भुगतना होगा 538 करोड़ की हरजाना, जानिए क्या है पूरा माजरा?

BCCI Arbitral Award Case: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने आईपीएल से प्रतिबंधित फ्रेंचाइजी कोच्चि टस्कर्स के पक्ष में फैसला सुनाया है और 538 करोड़ रुपये के मध्यस्थता फैसले को बरकरार रखा है। जस्टिस आरआई चागला ने बीसीसीआई की याचिका खारिज कर दी है, जिसके परिणामस्वरूप बोर्ड […]

BCCI Arbitral Award Case
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  • Last Updated: June 18, 2025 20:15:23 IST

BCCI Arbitral Award Case: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने आईपीएल से प्रतिबंधित फ्रेंचाइजी कोच्चि टस्कर्स के पक्ष में फैसला सुनाया है और 538 करोड़ रुपये के मध्यस्थता फैसले को बरकरार रखा है। जस्टिस आरआई चागला ने बीसीसीआई की याचिका खारिज कर दी है, जिसके परिणामस्वरूप बोर्ड को कोच्चि टस्कर्स फ्रेंचाइजी के मालिकों को 538 करोड़ रुपये देने होंगे।

कोच्चि टस्कर्स केरल ने 2011 में इंडियन प्रीमियर लीग में पदार्पण किया था, लेकिन आईपीएल में इस टीम का सफर सिर्फ एक साल ही चला। पहले इस टीम का मालिकाना हक रेंदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड (आरएसडब्लू) के पास था, लेकिन बाद में कोच्चि क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने इस टीम का संचालन किया, लेकिन समझौते के उल्लंघन का हवाला देते हुए बीसीसीआई ने कोच्चि टस्कर्स केरल फ्रेंचाइजी को समाप्त कर दिया।

कैसे आगे बढ़ा मामला?

फ्रेंचाइजी को समाप्त करने का मुख्य कारण यह था कि कोच्चि टस्कर्स टीम के मालिकों को 26 मार्च 2011 तक गारंटी राशि जमा करानी थी। बताया गया कि बोर्ड ने इस गारंटी के लिए 6 महीने तक इंतजार किया, लेकिन बीसीसीआई को करार से 156 करोड़ रुपये नहीं मिले।

आरएसडब्लू और कोच्चि टस्कर्स प्राइवेट लिमिटेड ने बीसीसीआई के फैसले के खिलाफ जाकर मध्यस्थता का सहारा लिया। ट्रिब्यूनल कोर्ट ने 2015 में फैसला सुनाया कि बीसीसीआई ने गलत तरीके से गारंटी राशि एकत्र की, जिसके कारण आरएसडब्लू को 153 करोड़ और केसीपीएल को 384 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा। ब्याज और कानूनी खर्च सहित यह राशि 538 करोड़ रुपये हुई।

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 के तहत इस कोर्ट का अधिकार क्षेत्र बहुत सीमित है। विवाद की जांच करने का बीसीसीआई का प्रयास धारा 34 के आधार से परे है। सामने आए साक्ष्यों पर बीसीसीआई की आपत्ति को मध्यस्थता को चुनौती देने का आधार नहीं कहा जा सकता।

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