समस्तीपुर. कहते हैं बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं. उन्हें जो सिखाया जाता ह, वो वही सीखते हैं. सदियों से ये जिम्मेदारी शिक्षकों की है, लेकिन जब गुरु जी ही फिसड्डी हों तो सब गुड़-गोबर होना तय मानिए. हम बात कर रहे हैं बिहार के सरकारी स्कूल के शिक्षकों की. आज हम आपको ऐसे-ऐसे मास्टर जी से मिलवाएंगे जिन्हें ये तक नहीं पता कि उन्होंने कहां तक पढ़ाई की है.
ये हालत समस्तीपुर के राजकीय बुनियादी विद्यालय की है. यहां पहुंचने पर हमें प्रभारी मैडम मिलीं, जिनके जवाब सुनकर आप भी कहेंगे कि ये शिक्षक न ही बनती तो अच्छा होता. उन्हें ये भी नहीं मालूम कि वे कितना पढ़ी हैं. उनसे जब पूछा गया कि आपकी उम्र कितनी है तो उनका जवाब था 2 हजार 1963. मैडम ने करीब सभी सवालों के ऐसे ही जवाब दिए.
इंडिया न्यूज के ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड में पता चला कि ये हालत केवल समस्तीपुर के सरकारी स्कूलों की नहीं, बल्कि छपरा, दरभंगा, बेगुसराय आदि कई जिलों के स्कूलों का शिक्षा का स्तर काफी हद तक गिरा हुआ है.
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