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जेपी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी संपत्ति बेचने की अनुमति, कहा- लौटाएंगे ग्राहकों का पैसा

सुप्रीम कोर्ट ने जेपी ग्रुप की अर्जी पर अटॉर्नी जनरल से गुरुवार तक अपनी राय देने को कहा है. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान जेपी ग्रुप की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि अगर सुप्रीम कोर्ट उन्हें संपत्ति बेचने की अनुमति दे देता है तो उन्हें 2500 करोड़ रुपए मिल जाएंगे.

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inkhbar News
  • Last Updated: October 23, 2017 16:26:58 IST
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने जेपी ग्रुप की अर्जी पर अटॉर्नी जनरल से गुरुवार तक अपनी राय देने को कहा है. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान जेपी ग्रुप की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि अगर सुप्रीम कोर्ट उन्हें संपत्ति बेचने की अनुमति दे देता है तो उन्हें 2500 करोड़ रुपए मिल जाएंगे. जेपी ग्रुप की तरफ से कहा गया कि हमारी प्राथमिकता ये है कि हम हमारे खरीदारों को फ्लैट मुहैया कराए. मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जेपी की अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई करेंगे. IDBI बैंक की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि जेपी ग्रुप को शुक्रवार तक 2000 करोड़ रुपए जमा कराने है. ऐसे में मामले की सुनवाई गुरुवार तक की जाए ताकि उनकी अर्जी का निपटारा किया जा सके. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर की तारीख तय की है.
 
इससे पहले जेपी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह यमुना एक्सप्रेस-वे के पास अपनी संपत्ति को बेचकर फ्लैट खरीदारों का बकाया चुकाना चाहते हैं. करीब 30 हजार खरीदारों को अभी तक फ्लैट नहीं मिला है. जेपी इंफ्राटेक ने कहा कि वह यमुना एक्सप्रेस-वे की संपत्ति दूसरे डेवलपर को बेचना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें 2500 करोड़ रुपए का ऑफर मिला है. जेपी ग्रुप को कहा गया कि इस महीने की 27 तारीख तक 2000 करोड़ रुपए सुप्रीम कोर्ट में जमा कराएं ताकि फ्लैट खरीदारों का पैसा वापस लौटाया जा सके. इस प्रोजेक्ट के तहत फ्लैट खरीदने वाले 40 लोगों ने पिछले साल लाए गए ‘दिवालियापन कानून’ को चुनौती दी थी.
 
इस कानून के तहत बैंक डेवलपर की प्रॉपर्टी बेचकर बकाया लोन की पूर्ति कर लेगा लेकिन घर खरीदने वालों के लिए किसी तरह का कोई प्रावधान नहीं किया गया. 500 करोड़ रुपए का लोन नहीं चुकाने पर बैंकों से कहा गया था कि जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित किया जाए. अगर कंपनी अपने आपको दिवालिया घोषित करती है तो खरीदारों को उनसे वादा किया गया फ्लैट या निवेश की गई रकम वापस मिलने की संभावना नहीं है. अगस्त महीने में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने जेपी बिल्डर्स को दिवालिया घोषित किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी पर 8 हजार 365 करोड़ रुपये का कर्ज है.
 
फिलहाल ट्रिब्यूनल ने जेपी इंफ्राटेक कंपनी को अपना पक्ष रखने के लिए 270 दिनों की मोहलत दी है. इस अवधि में अगर कंपनी की स्थिति सुधर गई तो ठीक है, नहीं तो उसकी सभी संपत्तियां नीलाम की जा सकती हैं. ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच ने IDBI बैंक की याचिका को स्वीकार करते हुए जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित किया था. दरअसल इसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड के तहत जब एनसीएलटी में कोई केस मंजूर कर लिया जाता है तो उसके बाद कंपनी को 180 दिनों के भीतर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारनी होती है. इस अवधि को 90 दिन और बढ़ाया जा सकता है. फिर भी अगर कोई सुधार नहीं आता तो कंपनी की संपत्तियों को नीलाम कर दिया जाता है.
 
 

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