नई दिल्ली. बढ़ती आबादी के साथ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शराब पीने वाले लोगों की संख्या भी लगाता बढ़ रही है. भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (आईएसआई) के सहयोग से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक नया सर्वे किया है. इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली की जनता हर महीने पांच लाख लीटर शराब गटक जाती है जिसकी कीमत करीब 6 करोड़ रुपये है. एम्स और आईएसआई की इस रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में हर महीने करीब 410 करोड़ रुपये की 3.6 करोड़ लीटर शराब का उपभोग होता है. पिछले महीने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल ड्रग सर्वे 2019 में भी बताया गया था कि दिल्ली के 40 फीसदी पुरुष और 20 फीसदी महिलाएं शराब का उपभोग करती हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एम्स और आईएसआई रिसर्च में विशेषज्ञों ने 65,000 से ज्यादा घरों के आंकड़ों का विश्लेषण किया. इसमें 2011-12 में नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस की ओर से कराए गए कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे के डेटा का सहारा लिया गया.
इस रिसर्च में बताया गया है कि भारत में प्रत्येक परिवार औसतन हर महीने 0.18 लीटर के शराब उत्पाद का उपभोग करता है. ग्रामीण इलाकों में यह औसत ज्यादा है. ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन प्रत्येक परिवार हर महीने 0.22 लीटर की शराब पीता है, जबकि शहरी इलाकों में यह औसत 0.10 लीटर है.
एम्स-आईएसआई के इस रिसर्च के बारे में बताते हुए आकाश सूद का कहना है कि ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में उच्च आय वर्ग के लोग ज्यादा मात्रा में शराब पीते हैं. भारत में करीब 410 करोड़ रुपये की 3.6 करोड़ लीटर शराब का उपभोग हर महीने होता है.
आपको बता दें कि जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है युवा वर्ग नशे की गिरफ्त में आता जा रहा है. इससे पहले भी हुए कुछ रिसर्च में सामने आया था कि काम के तनाव के कारण लोगों में शराब पीने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. वहीं उच्च आय वर्ग परिवारों के पाश्चात्य संस्कृति की ओर हो रहे झुकाव के कारण वे फैशन के रूप में शराब को अपना रहे हैं. पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी तेजी से शराब पीने की लत लग रही है.
हालांकि गुजरात और बिहार जैसे राज्यों में सरकार ने शराब पर पूरे तरीके से प्रतिबंध लगा रखा है. वहीं कुछ सामाजिक संगठनों ने शराब के खिलाफ मुहिम छोड़ रखी है. इसके बावजूद देश की जनसंख्या का बड़ा तबका शराब और अन्य नशीले पदार्थों की गिरफ्त में है.
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