नई दिल्ली : गाजियाबाद में 13 साल पुराने अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चल सकता है, क्योंकि शासन ने 2012 से अब तक पिछले 13 सालों में जिले में हुए ऐसे सभी अवैध निर्माणों की रिपोर्ट मांगी है। जीडीए की टीम इस रिपोर्ट को तैयार करने में जुटी है। बताया जा रहा है कि 20 जनवरी तक रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजनी है। यह रिपोर्ट सिर्फ जीडीए से ही नहीं बल्कि अन्य प्राधिकरणों से भी मांगी गई थी।
इसमें पूछा गया है कि उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? कितनों को नोटिस जारी किए गए? कितने मामलों में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई? कितने मामलों में ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया गया, लेकिन वहां ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की जा सकी? इतना ही नहीं, ऐसे कितने मामले हैं, जहां अवैध निर्माण किया गया? नोटिस देने के बाद शमन शुल्क लेकर उन अवैध निर्माणों को कम किया गया। इसके अलावा कितने ऐसे अवैध निर्माण हैं, जिनका मामला कोर्ट में चल रहा है और कितने मामलों में स्थगन आदेश पारित किया गया है।
जीडीए की टीम इस रिपोर्ट को तैयार करने में जुटी है। बताया जा रहा है कि 20 जनवरी तक रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजनी है। यह रिपोर्ट सिर्फ जीडीए से ही नहीं बल्कि अन्य प्राधिकरणों से भी मांगी गई थी। क्योंकि 10 फरवरी को हाईकोर्ट में प्रमुख सचिव आवास को इस मामले में व्यक्तिगत हलफनामा देना है। फिलहाल इस रिपोर्ट के तैयार होने के बाद जिले में हुए अवैध निर्माण पर कार्रवाई की संभावना काफी बढ़ गई है।
पिछले कुछ सालों में जीडीए में हजारों की संख्या में ध्वस्तीकरण के आदेश पारित हुए, लेकिन ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले को लेकर शासन में पहले भी सवाल उठ चुके हैं। कहा गया कि अगर ध्वस्तीकरण के आदेश पारित होते हैं, तो ऐसे अवैध निर्माणों को ध्वस्त क्यों नहीं किया जाता। ऐसे मामलों में जीडीए प्रवर्तन दल पर लगातार मिलीभगत का आरोप लगता रहता है।
कहा जाता है कि जीडीए प्रवर्तन दल खुद को बचाने के लिए कागजी कार्रवाई करता है। किसी भी अवैध निर्माण के मामले में पहले नोटिस जारी किया जाता है। निर्माण जारी रहता है। फिर दूसरा नोटिस जारी होता है। तीन नोटिस के बाद ध्वस्तीकरण का आदेश पारित होता है। फिर फाइल बंद कर दी जाती है। जिन मामलों में बंदोबस्त संभव नहीं होता, वहां बुलडोजर लेकर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाती है, लेकिन जहां बंदोबस्त हो जाता है, वहां ध्वस्तीकरण की फाइल बंद कर दी जाती है।
पुराने अधिकांश अवैध निर्माण में लोगों ने रहना भी शुरू कर दिया है। ऐसे मामले में ध्वस्तीकरण किया जाना अब मुश्किल होगा, लेकिन यदि कोर्ट की तरफ से कोई आदेश पारित किया जाता है, तो प्रदेश के सभी प्राधिकरण के सामने बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी। हालांकि जिन अवैध निर्माण में लोग रह नहीं रहे हैं, उन्हें तोड़ने के लिए जीडीए की प्रवर्तन टीम बुलडोजर भेज सकती है।
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