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DU Admissions 2019: दिल्ली विश्वविद्यालय में बीकॉम और बीए इकोनॉमिक्स के योग्यता मानदंड में बदलाव को लेकर हाई कोर्ट ने मांगा डीयू से जवाब

DU Admissions 2019: दिल्ली विश्वविद्यालय में बीकॉम और बीए इकोनॉमिक्स के योग्यता मानदंड में बदलाव किया गया. इसी बदलाव को लेकर हाई कोर्ट ने डीयू से जवाब मांगा है. अधिवक्ता प्रैक्टिस करने वाले चरणपाल सिंह बागड़ी द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में पात्रता मानदंड को रद्द करने की मांग की है, जिसमें कहा गया है कि घोषणा का समय सही नहीं है और इसका खामियाजा कई छात्रों को भुगतना पड़ सकता है. ये छात्रों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.

DU Admissions 2019
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  • Last Updated: June 11, 2019 14:29:52 IST

नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय डीयू को एक नोटिस भेजकर बीए अर्थशास्त्र (ऑनर्स) और बीकॉम पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव पर स्पष्टीकरण मांगा है. पहले आ रही मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विश्वविद्यालय ने बीकॉम और बीए अर्थशास्त्र (ऑनर्स) पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश मानदंड में बदलाव किया है. इस सीजन की शुरुआत से डीयू ने अर्थशास्त्र के लिए गणित को ‘बेस्ट ऑफ फोर’ में शामिल करना अनिवार्य कर दिया है. बीकॉम के लिए, छात्र को गणित में कम से कम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे.

अधिवक्ता चरनपाल सिंह बागड़ी द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में नए पात्रता मानदंड को रद्द करने की मांग की है. बागड़ी ने कहा कि नई पात्रता यूजीसी क्लॉज का उल्लंघन है जो बताता है कि एक विश्वविद्यालय को प्रवेश से कम से कम 15 दिन पहले बदलाव प्रकाशित करना चाहिए जबकि डीयू ने पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने के एक दिन पहले ही बदलावों की घोषणा की है. उन्होंने कहा, फैसले की मनमानी छात्रों के लिए न्याय का उल्लंघन है. मैं बदलाव के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन बदलाव को कार्यान्वयन से दो साल पहले सूचित किया जाना चाहिए ताकि छात्र अपने अनुसार विषयों का चयन कर सके.

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ​​और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने प्रवेश की अंतिम तिथि 14 जून, 2019 से पहले डीयू को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. अदालत ने डीयू और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को नोटिस जारी किया है. विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने पीआईएल के संबंध में मीडिया के कई प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया. हालांकि पहले विश्वविद्यालय ने सूचित किया था कि पात्रता मानदंड में परिवर्तन को उद्योग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लाया गया है. पात्रता मानदंड में परिवर्तन के साथ प्रत्येक छात्र के लिए अंकों का प्रतिशत बढ़ या घट सकता है जिसका प्रभाव दिल्ली विश्वविद्यालय की एक सीट पर उनके दावे पर पड़ेगा.

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