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झारखंडः WhatsApp के जरिए मुकदमा चलाने पर निचली अदालत पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, कहा- यह मजाक है क्या

झारखंड के हजारीबाद की एक कोर्ट Whatsapp के जरिए आपराधिक मुकदमे में आरोप तय करने पर भड़के सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या ये मजाक है, हम इस की प्रक्रिया की इजाजत नहीं दे सकते हैं.

supreme court
inkhbar News
  • Last Updated: September 9, 2018 16:05:39 IST

नई दिल्लीः क्या आपने कभी मैसेंजिग ऐप व्हाट्सएप के जरिए किसी आपराधिक मामले की सुनवाई के बारे में सुना है. शायद नहीं सुना होगा, लेकिन ऐसा हुआ है मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच गया. शीर्ष अदालत ने इस बात पर निचली अदालत को फटकार लगाते हुए कहा कि भारत की किसी अदालत में इस तरह के मजाक की अनुमति कैसे मिल गई. दरअसल मामला झारखंड का है जो वहां के पूर्व मंत्री और उनकी विधायक पत्नी से जुड़ा है. यहां हजारीबाग की एक अदालत में न्यायाधीश ने व्हाट्सएप कॉल के जरिए आरोप तय करने का आदेश इन आरोपियों को मुकदमे का सामना करने का आदेश दिया.  

बता दें कि झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी साल 2016 के दंगे के आरोपी हैं. शीर्ष अदालत ने उन्हें पिछले साल जमानत दी थी. कोर्ट ने शर्त रखी थी कि वे भोपाल में रहेंगे और अदालती कार्रवाई में हिस्सा लेने के अलावा झारखंड में नहीं आएंगे. लेकिन आरोपियों ने अब शीर्ष अदालत से कहा कि आपत्ति के बाद बी निचली अदालत के जज ने 19 अप्रैल को व्हाट्सएप कॉल के जरिए उनके खिलाफ आरोप तय किए. 

जिस पर न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एलएन राव की पीठ ने कहा कि झारखंड में क्या हो रहा है इस तरह की प्रक्रिया की इजाजत नहीं दी जा सकती और हम न्याय प्रशासन की बदनामी करने की अनुमति नहीं दे सकते . पीठ ने राज्य सरकार की ओर से उपस्थित वकील से कहा कि हम यहां व्हाट्सएप के जरिए मुकदमा चलाए जाने की राह पर हैं. इसे नहीं किया जा सकता ये किस तरह का मुकदमा है, क्या यह मजाक है. 

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