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कोर्ट में हिजाब पहनकर आई मुस्लिम महिला, जज ने कहा उतारो हिजाब, नहीं तो…

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने एक महिला वकील सैयद ऐनैन कादरी की बातों को यह कहकर नकार दिया कि उसने अपना चेहरा ढक रखा था। अदालत में हुई बहस के दौरान, जब न्यायाधीशों ने महिला वकील से अपना चेहरा दिखाने को कहा, तो उसने इसका विरोध किया और दावा किया कि यह उसका मौलिक अधिकार है।

Hijab Court Controversy
inkhbar News
  • Last Updated: December 24, 2024 15:24:32 IST

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने एक महिला वकील सैयद ऐनैन कादरी की बातों को यह कहकर नकार दिया कि उसने अपना चेहरा ढक रखा था। अदालत में हुई बहस के दौरान, जब न्यायाधीशों ने महिला वकील से अपना चेहरा दिखाने को कहा, तो उसने इसका विरोध किया और दावा किया कि यह उसका मौलिक अधिकार है। इसके बाद, न्यायमूर्ति मोक्ष खजुरिया काज़मी और न्यायमूर्ति राहुल भारती ने भारतीय बार काउंसिल (BCI) के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि महिला वकीलों को अदालत में अपना चेहरा ढककर उपस्थित होने की अनुमति नहीं है।

घरेलू हिंसा में हो रही थी सुनवाई

यह घटना 27 नवंबर की है, जब घरेलू हिंसा के एक मामले की सुनवाई हो रही थी। महिला वकील ने अदालत में पेश होकर खुद को याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधि बताया, लेकिन उसने अपना चेहरा ढक रखा था। जब न्यायमूर्ति राहुल भारती ने महिला वकील से अपना चेहरा दिखाने को कहा, तो उसने इनकार कर दिया और कहा कि उसे चेहरा ढकने का मौलिक अधिकार है।

अदालत ने मामले को किया स्थगित

इसके बाद, न्यायालय ने 27 नवंबर को कहा कि महिला वकील की उपस्थिति पर विचार नहीं किया जा सकता, क्योंकि अदालत के पास उसकी असली पहचान की पुष्टि करने का कोई मौका नहीं था। अदालत ने मामले की सुनवाई 5 दिसंबर तक स्थगित कर दी और रजिस्ट्रार जनरल से पूछा कि क्या कोई ऐसा नियम है जो महिला वकीलों को चेहरा ढककर पेश होने की अनुमति देता है।

महिला वकीलों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित

रजिस्ट्रार जनरल ने 5 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसके बाद 13 दिसंबर को न्यायमूर्ति काज़मी ने बताया कि भारतीय बार काउंसिल के नियमों में इस तरह के किसी अधिकार का उल्लेख नहीं है। न्यायालय ने बताया कि इन नियमों में महिला वकीलों के लिए ड्रेस कोड तो निर्धारित किया गया है, लेकिन इसमें चेहरा ढकने की अनुमति नहीं है। अदालत ने कहा कि नियमों में कहीं भी चेहरा ढकने का कोई उल्लेख नहीं है। इस बीच, याचिकाकर्ताओं के प्रतिनिधित्व के लिए एक अन्य वकील ने अदालत में पेश होकर मामला आगे बढ़ाया। 13 दिसंबर को अदालत ने मामले को खारिज कर दिया।

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