लखनऊ: एक बार फिर पुलिस पूछताछ करने के लिए करौली सरकार के आश्रम पहुंची है. करौली सरकार के आश्रम में दो सब इंस्पेक्टर सेवादारों से पूछताछ के लिए पहुंचे. इस दौरान मीडिया ने जब उनसे सवाल जवाब करना चाहा तो उन्होंने किसी भी तरह के सवालों का जवाब देने से साफ़ इनकार कर दिया. बता दें, करौली के बाबा उर्फ़ संतोष सिंह भदौरिया पर उन्हीं के एक भक्त को अपने बाउंसर्स से पिटवाने का आरोप है. पीड़ित नोएडा का निवासी है जो पेशे से डॉक्टर है. इसी मामले में करौली सरकार के लवकुश आश्रम में पुलिस पूछताछ करने पहुंची.
करौली बाबा यानी संतोष सिंह मूल रूप से उन्नाव के बारह सगवर का निवासी है जिसकी किस्मत उत्तर प्रदेश और पूरे देश में महेंद्र सिंह टिकैत के किसान आंदोलन के दौरान बदली. जिस समय टिकैत का किसान आंदोलन कानपुर में अपना सिर उठा रहा था उस दौरान धाकड़ किसान यूनियन नेता संतराम सिंह का मर्डर हो गया. इस हत्या के बाद किसान नेता टिकैत ने संतोष सिंह को ही कानपुर के सरसोल क्षेत्र की पूरी बागडोर सौंपी. जिस बीच पुलिस से किसान यूनियन के प्रदर्शन के दौरान उसकी भिड़ंत हो गई थी. जिसके बाद करौली बाबा कहलाने वाले संतोष ने उस समय कुछ किसानों को पुलिस कस्टडी से छुड़ा दिया था जिसे पुलिस ने प्रदर्शन के बाद जेल भेजा था. इन किसानों पर गुंडा एक्ट और गैंगस्टर लगाया गया था. जिसके बाद किसानों के बीच संतोष सिंह और लोकप्रिय हो गया. जहां से धीरे-धीरे उसकी किस्मत बदलती है.
पीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे श्रीप्रकाश जायसवाल से संतोष सिंह भदौरिया अपनी नज़दीकियों के लिए काफी मशहूर रहा. उनको कोयला निगम का चेयरमैन बनाकर लाल बत्ती दी गई. लेकिन कुछ कोंग्रेसी नेताओं ने सवाल भी उठाए जिसके बाद संतोष सिंह को निगम से हटा दिया गया. कुछ समय तक यह गुमनाम रहा लेकिन करौली आश्रम बनाने के बाद वह एक बार फिर सुर्खियों में आ गया.
सबसे पहले के जगह पर शनि भगवान का मंदिर बनाया गया जिसके बाद करौली बाबा ने इस आश्रम में आयुर्वेदिक हॉस्पिटल शुरू किया था. जिसमें आसपास के गांव वालों का जड़ी-बूटी से इलाज करने को लेकर कई दावे किए गए. इन दावों के प्रचलित होने के बाद यहां कामाख्या माता का मंदिर बनवाया. गुरु राधा रमण मिश्रा भी करौली आश्रम आकर रहने लगे. इसी तौरान संतोष भदौरिया ने तंत्र-मंत्र का प्रयोग करते हुए लोगों का इलाज शुरू कर दिया. इसी से यह धीरे-धीरे प्रचलित हो गए. जब उनके गुरु राधारमण विश्व की मौत हुई तो उन्होंने आश्रम में उनकी मूर्ति लगाई और वह करौली सरकार या करौली बाबा के नाम से मशहूर हो गया.
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