लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी बसपा की सुप्रीमो मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी मूर्तियां लगाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि जब भगवान राम की मूर्तियां बन सकती हैं तो मेरी क्यों नहीं? मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए मायावती ने ये बात कही. मायावती ने लिखा कि अगर अयोध्या में भगवान राम की 221 मीटर की प्रतिमा बननी प्रस्तावित हो सकती है तो मैं अपनी मूर्ति क्यों नहीं बनवा सकती. इसकी घोषणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल 7 नवंबर को की थी. जिसके लिए राज्य कैबिनेट ने 200 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी.
यही नहीं मायावती ने गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची मूर्ति पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब 3000 करोड़ की लागत से सरदार पटेल की मूर्ति बन सकती है तो मेरी क्यों नहीं? मायावती ने अपने जवाब में आगे लिखा कि नेहरु, इंदिरा गांधी, नरसिम्हा राव जैसे नेताओं की मूर्तियां जनता के टैक्स के पैसों से बनवाई गई, तब किसी ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं की, कोई सवाल नहीं उठा. उन्होंने कहा, आखिर क्यों एक दलित की बेटी की मूर्ति को लेकर इतना सवाल उठाया जा रहा है?
उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि मैंने अपना सारा जीवन पिछड़े और दबे कुचले लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए अर्पित कर दिया है. अपने समर्पण की ही वजह से मैंने निर्णय लिया कि मैं शादी नहीं करूंगी. जनता की उम्मीदें पूरी करने के लिए ही मैंने ये स्मारक बनवाए हैं. उन्होंने बताया कि वो चार बार उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहीं.
उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि जब-जब मैं उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही मैनें वंचित वर्ग के लिए काम किए. मैंने पिछड़े वर्ग के लिए कई योजनाएं शुरू कीं. इस काम को सम्मानित करते हुए मैंने स्मारक बनवाए हैं. उन्होंने कहा कि जनता की इच्छा से स्मारक और मूर्तियों को निर्माण किया गया है. मायावती के मुताबिक जनता चाहती थी कि पिछड़े वर्ग के लिए काम करने वाले कांशीराम को मरणोपरांत भारत रत्न मिलना चाहिए था.