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मिल्कीपुर उपचुनाव: भाजपा के धोबी पछाड़ से अखिलेश चित, अवधेश प्रसाद की जाएगी सांसदी!

लखनऊ: भारत निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर दी। 13 नवंबर को एक साथ सभी सीटों पर मतदान होगा और 23 नवंबर को मतगणना होगी। हालांकि अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर चुनाव की घोषणा नहीं की गई। इस संबंध में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल […]

Milkipur bypolls
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  • Last Updated: October 15, 2024 19:59:49 IST

लखनऊ: भारत निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर दी। 13 नवंबर को एक साथ सभी सीटों पर मतदान होगा और 23 नवंबर को मतगणना होगी। हालांकि अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर चुनाव की घोषणा नहीं की गई। इस संबंध में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।

सपा प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर उपचुनाव होने थे। आयोग ने सिर्फ 9 सीटों पर घोषणा की। मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर यह कहकर घोषणा नहीं की गई कि कुछ मामला कोर्ट में लंबित है। सपा आयोग से पूछना चाहती है कि क्या कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश दिया है। सीसामऊ सीट पर भी याचिका लंबित है। फिर वहां चुनाव क्यों कराए जा रहे हैं। चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठता है कि मिल्कीपुर में उपचुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे और सीसामऊ में उपचुनाव क्यों कराए जा रहे हैं।

चुनाव आयोग का फैसला

भारतीय जनता पार्टी के नेता और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि यह चुनाव आयोग का फैसला है, मामला कोर्ट में चल रहा है। आपको बता दें कि पूर्व भाजपा विधायक बाबा गोरखनाथ की याचिका ने मिल्कीपुर विधानसभा सीट का चुनाव रोक दिया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद के नामांकन नोटरी में त्रुटि को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। अभी पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ की याचिका हाईकोर्ट में लंबित है। 2022 में सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद की जीत हुई।

क्या है पूरा मामला

यूपी के मिल्कीपुर में उपचुनाव की घोषणा इसलिए नहीं हुई क्योंकि पूर्व बीजेपी विधायक बाबा गोरखनाथ ने 2022 में चुनाव जीतने वाले एसपी विधायक अवधेश प्रसाद के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। मामला अवधेश द्वारा पर्चा भरते समय गलत शपथ लेने से जुड़ा है। रिट में कहा गया है कि जिस वकील ने अवधेश प्रसाद की नोटरी का वेरिफिकेशन किया था, उस तारीख को उसका लाइसेंस रिन्यू नहीं हुआ था। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि जिस तारीख को नोटरी रिकॉर्ड को प्रमाणित करता है, उस तारीख तक वकील का लाइसेंस होना चाहिए।

 

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