नई दिल्ली। तमिलनाडु के मदुरै के पास तिरुवनंतपुरम पहाड़ी पर सिकंदर बदूशा दरगाह पर बकरों की बलि को लेकर विवाद बढ़ गया है। बकरों की बलि देने की अनुमति की मांग को लेकर कई मुस्लिम संगठनों के नेताओं द्वारा किए गए प्रदर्शन के बाद बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया। बताया जाता है कि तिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी का बहुत धार्मिक महत्व है और भगवान मुरुगन के छह पवित्र धामों में से एक तिरुप्परनकुंद्रम मुरुगन मंदिर यहीं स्थित है।
पुलिस के मुताबिक इन संगठनों के प्रतिनिधि अपने समर्थकों के साथ दरगाह पर जाकर जानवरों की बलि देना चाहते थे। पुलिस ने हस्तक्षेप किया और समझाया कि उन्हें दरगाह पर प्रार्थना करने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन जानवरों की बलि देने की अनुमति नहीं होगी। इसके चलते विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से बात की और आखिरकार इलाके से चले गए। दरगाह 400 साल पुरानी बताई जाती है। मुस्लिम समूहों का मानना है कि सिकंदर बदुशा थोझुगई पल्लीवसल का निर्माण सुल्तान सिकंदर ने लगभग 400 साल पहले करवाया था।
हर हिजरी वर्ष में इस्लामी महीने रजब की 17वीं रात को सुल्तान सिकंदर बदुशा का वार्षिक उर्स उत्सव मनाया जाता है। इस दिन पहाड़ी पर स्थित दरगाह पर हजारों लोग आते हैं। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए दरगाह समिति और स्थानीय पुलिस द्वारा विशेष व्यवस्था की जाती है। यह भी दावा किया जाता है कि सिकंदर बादुशा को जेद्दा का गवर्नर कहा जाता था। सुल्तान सैयद इब्राहिम शहीद बादुशा 14वीं सदी के अंत में शहीद बादुशा के साथ मदीना से तमिलनाडु के इरवाडी आए थे। इरवाडी के बादुशा सुल्तान सैयद इब्राहिम शहीद लाब्स ने मदुरै प्रांत पर विजय प्राप्त की।
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