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इस हनुमान मंदिर की रहस्यमय कहानी, लंगूर बनकर मत्था टेकने आ रहे सैकड़ों बच्चे

चंडीगढ़: पंजाब के अमृतसर जिले के हनुमान मंदिर में हर साल की तरह लगने वाला लंगूर मेला नवरात्र के पहले दिन से आरंभ हो गया है, इस मेले में बच्चे से लेकर नौजवान तक लंगूर बनते हैं..

langur mela
inkhbar News
  • Last Updated: October 3, 2024 16:22:34 IST

चंडीगढ़: पंजाब के अमृतसर जिले के हनुमान मंदिर में हर साल की तरह लगने वाला लंगूर मेला नवरात्र के पहले दिन से आरंभ हो गया है, इस मेले में बच्चे से लेकर नौजवान तक लंगूर बनते हैं और पूरे 10 दिनों तक ब्रह्मचर्य बनकर जीवन व्यतीत करते हैं. इस व्रत का अंत दशहरे वाले दिन होता है.

बताया जा रहा है कि इस मंदिर में जो हनुमान की प्रतिमा है वो अपने आप ही प्रकट हुई थी. इस बारे में बताया जाता है कि जब श्री राम ने वनवास के लिए एक धोबी के कटाक्ष पर सीता माता को भेज दिया था तो तब उन्होंने महर्षि वाल्मिकी के आश्रम में पनाह ली थी, जहां माता सीता ने दो पुत्रों लव-कुश को जन्म दिया था. इसी दौरान श्री राम ने अश्वमेध यज्ञ करवाया और अपना घोड़ा छोड़ दिया, इसके बाद लव-कुश ने उस घोड़े को पकड़कर बरगद के पेड़ के साथ बांध दिया था.

बच्चे क्यों बनते हैं लंगूर?

बताया जाता है कि जब हनुमान जी लव-कुश से घोड़ा आजाद करवाने के लिए वहां पहुंचे तो लव-कुश ने उन्हें भी बंदी बना लिया और यहीं पर हनुमान जी को बैठा दिया, जिसके बाद से ही हनुमान जी की प्रतिमा यहां पर स्वयं प्रकट हो गई. ऐसी मान्यता है कि इस हनुमान मंदिर से जो कोई भी मन्नत मांगता है तो उसे पूरा हो जाता है. मांगी गई मुराद पूरी होने पर वो व्यक्ति बच्चों को लंगूर बनाकर इन नवरात्रों में हर रोज सुबह-शाम मत्था टेकने के लिए लाता है.

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