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Noida: नोएडा में दूर से दिखेगा रावण के पुतले का दहन, ड्रोन से होगी निगरानी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नोएडा में विजयादशमी के मौके पर जगह-जगह रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतलों के दहन होगा. इसके लिए सुरक्षा और जाम से बचने के लिए प्रशासन की तरफ से पूरा इंतजाम किया गया हैं. बताया जा रहा है कि पुतलों में ग्रीन पटाखे का इस्तेमाल होगा। वहीं कलाकार सोमवार देर […]

Dussehra 2023
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  • Last Updated: October 24, 2023 08:06:47 IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नोएडा में विजयादशमी के मौके पर जगह-जगह रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतलों के दहन होगा. इसके लिए सुरक्षा और जाम से बचने के लिए प्रशासन की तरफ से पूरा इंतजाम किया गया हैं. बताया जा रहा है कि पुतलों में ग्रीन पटाखे का इस्तेमाल होगा। वहीं कलाकार सोमवार देर रात तक पुतलों को अंतिम रूप देते नजर आए. विजयादशमी के मौके पर भीड़ को देखते हुए Sector-21A नोएडा स्टेडियम की रामलीला के आसपास भारी सुरक्षा व्यवस्था रहेगा। वहीं Sector- 21A नोएडा स्टेडियम और Sector-62 में सबसे अधिक दर्शकों के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।

वॉच टॉवर के साथ ड्रोन से होगी निगरानी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वॉच टॉवर के साथ ड्रोन से भी निगरानी होगी. इसके अलावा सेक्टर-12 श्री बजरंग रामलीला संचालिका समिति, सेक्टर-46 श्रीराम लखन धार्मिक लीला कमिटी और सेक्टर-110 महर्षि नगर रामलीला समिति में भी रावण के पुतलों का दहन किया जाएगा. वहीं सेक्टर-70 पैन ओएसिस, सेक्टर-77 प्रतीक विस्टेरिया, सेक्टर-120 आरजी रेजिडेंसी समेत कुछ अन्य इलाकों में भी कार्यक्रमों के आयोजन को लेकर सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं।

दूर से दिखेंगे पुतले

सेक्टर-62 डी ब्लॉक पार्क में 75 फुट के रावण, 70 फुट के कुंभकर्ण और 65 फुट के मेघनाद का पुतला तैयार किया गया है जिसका दहन आज होगा। वहीं नोएडा स्टेडियम में 70 फुट के रावण, 65 फुट के कुंभकर्ण और 60 फुट के मेघनाद का दहन आज होगा। इसके अलावा सेक्टर-46 में 60 फुट के रावण, 55 फुट के कुम्भकर्ण और 50 फुट के मेघनाद का दहन होगा।

यहां की है अलग परंपरा

आपको बता दें कि सेक्टर-12 की रामलीला कमिटी का रावण दहन सबसे अलग होता है, यहां रावण दहन होने के बाद समिति का कोई भी सदस्य भोजन तब तक नहीं करता जब तक रावण के पुतलों की राख को गंगा में प्रवाहित नहीं कर देता। वहीं टीम के सदस्य हर साल पुतलों की राख को कलश में भरकर गढ़गंगा जाकर उसे प्रवाहित करते हैं. इसके बाद 21 ब्राह्मणों को ब्रह्मभोज कराने के बाद ही संपन्न मानते हैं।

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