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RSS प्रमुख ने कही विश्व युद्ध की बात, दिखेगी कयामत की रात, गोली-बारूद की होगी बारिश!

भोपाल: आरएसएस के प्रमुख यानी कि मोहन भागवत योगमणि ट्रस्ट जबलपुर द्वारा आयोजित स्व. डॉ. उर्मिला ताई जामदार स्मृति व्याख्यानमाला में शिरकत किए. वहीं इस मौके पर उन्होंने ‘वर्तमान में विश्व कल्याण के लिए हिंदुत्व के महत्व’ पर अपने विचार भी रखे. इस दौरान मोहन भागवत ने वैश्विक स्तर पर बड़ा बयान दिया. तीसरे विश्व […]

RSS chief talked about world war, night of doomsday will be seen, there will be rain of bullets!
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  • Last Updated: November 11, 2024 11:39:25 IST

भोपाल: आरएसएस के प्रमुख यानी कि मोहन भागवत योगमणि ट्रस्ट जबलपुर द्वारा आयोजित स्व. डॉ. उर्मिला ताई जामदार स्मृति व्याख्यानमाला में शिरकत किए. वहीं इस मौके पर उन्होंने ‘वर्तमान में विश्व कल्याण के लिए हिंदुत्व के महत्व’ पर अपने विचार भी रखे. इस दौरान मोहन भागवत ने वैश्विक स्तर पर बड़ा बयान दिया. तीसरे विश्व युद्ध की आशंका पर उन्होंने कहा कि वैश्विक शांति के लिए पूरी दुनिया भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है. उन्होंने कहा कि अब तक दो विश्व युद्ध हो चुके हैं।

 

आशंका बनी हुई है

 

दोनों विश्व युद्धों के दौरान बड़े पैमाने पर नरसंहार के बावजूद एक बार फिर तीसरे विश्व युद्ध की आशंका बनी हुई है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के मुताबिक, ‘हर कोई चाहता है कि भारत विश्व गुरु बने, लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के कारण इसमें बाधाएं पैदा कर रहे हैं। ये सच है कि भारत रास्ता दिखाएगा. वहीं, अगर मैं कहूं कि हिंदुत्व रास्ता दिखाता है तो विवाद खड़ा हो जाता है.

 

व्यापार बढ़ता जा रहा

 

आरएसएस के सर संघचालक भागवत ने कहा कि धर्म और राजनीति की अवधारणा को व्यवसाय बना दिया गया है. वैज्ञानिक युग आने के बाद भी हथियारों का व्यापार बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि दो विश्व युद्ध हुए। विश्व दो विचारधाराओं में बँट गया। एक आस्तिक और एक नास्तिक. इसीलिए आज पूरा विश्व आध्यात्मिक शांति के लिए भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है।

 

ज्ञान को भूल गया

 

आज विश्व की स्थिति पहले से अधिक समृद्ध है। लोगों के पास ज्ञान तो है लेकिन मानवता के कल्याण का मार्ग नहीं है। भारत भी इस मामले में समृद्ध है लेकिन अब वह अपने ज्ञान को भूल गया है। लंबा, आरामदायक और शांतिपूर्ण जीवन उनका मुख्य लक्ष्य बन गया, जो गलत है। ये याद रखना होगा कि हमें गुलामी के दौर की सोच से बाहर निकलना है।

 

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