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यूपी में अजीब मामला मौत के बाद ‘भूत’ ने दर्ज कराई FIR, कोर्ट भी हैरान

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को हैरत में डाल दिया। इस केस में एक मृत व्यक्ति के कथित भूत

Strange case in UP Ghost lodged FIR after death court surprised
inkhbar News
  • Last Updated: August 8, 2024 22:41:37 IST

UP Ghost Filed FIR: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को हैरत में डाल दिया। इस केस में एक मृत व्यक्ति के कथित भूत ने याचिका दर्ज कराई और पुलिस ने उस भूत का बयान भी दर्ज किया। यह मामला कुशीनगर के शब्द प्रकाश नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जिसकी मौत तीन साल पहले हो चुकी थी। इसके बावजूद, उनके नाम से एफआईआर दर्ज की गई और पुलिस ने उसकी विवेचना भी की।

मौत के बाद भी दर्ज हुई FIR

इस अनोखे केस की शुरुआत 2014 में हुई, जब शब्द प्रकाश के नाम से कोतवाली हाता में एक एफआईआर दर्ज की गई। हैरान करने वाली बात यह है कि शब्द प्रकाश की मौत 19 दिसंबर 2011 को हो चुकी थी। बावजूद इसके, पुलिस ने न केवल उनके नाम से एफआईआर दर्ज की, बल्कि उनके बयान भी दर्ज किए। इस मामले ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कोर्ट में भूत का हस्ताक्षरित वकालतनामा

इस केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी भी इस अनोखी घटना से अवाक रह गए। उन्होंने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला पुलिस की विवेचना प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। कोर्ट में यह भी बताया गया कि मृतक शब्द प्रकाश के कथित भूत ने 19 दिसंबर 2023 को हस्ताक्षरित वकालतनामा भी दाखिल किया था।

एसपी कुशीनगर को जांच के आदेश

कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी कुशीनगर को निर्देश दिया कि वह इस विवेचना अधिकारी की जांच करें, जिसने इस भूत का बयान दर्ज किया था। साथ ही, कोर्ट ने याची पुरूषोत्तम सिंह और अन्य के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को भी रद्द कर दिया।

हाईकोर्ट का वकीलों को सलाह

कोर्ट ने इस मामले में वकीलों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से कहा गया है कि भविष्य में वकीलों को ऐसे मामलों में सतर्कता दिखानी चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाएं न हो सकें।

मृतक की पत्नी ने दी थी रिपोर्ट

शब्द प्रकाश की पत्नी ने अपनी गवाही और मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर सीजेएम कुशीनगर को रिपोर्ट दी थी, जिसमें शब्द प्रकाश की मौत की पुष्टि की गई थी। इसके बावजूद, पुलिस ने 2014 में एफआईआर दर्ज कर चार्जशीट भी दाखिल की थी। इस याचिका में केस की वैधता को चुनौती दी गई थी, जिसे अब कोर्ट ने रद्द कर दिया है।

यह मामला एक मिसाल है कि किस तरह से कभी-कभी सरकारी व्यवस्था में गंभीर चूक हो जाती है। इस घटना ने पुलिस और न्यायिक प्रणाली दोनों के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। कोर्ट के निर्देश और सावधानियों के बावजूद, इस तरह की घटनाओं का सामने आना हमारे सिस्टम में सुधार की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

 

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