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धारावी मस्जिद विवाद के पीछे जुड़े है कई गहरे सच, जानें क्या है पूरी कहानी

मुंबई: मुंबई के धारावी क्षेत्र में बीएमसी की टीम शनिवार शुभानिया मस्जिद के अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए पहुंची, जिस कारण सुबह से ही विवाद की स्थिति बनी हुई है. हालांकि स्थानीय निवासियों के विरोध के चलते मस्जिद को गिराने के लिए आठ दिन का समय दिया गया। इस बीच मस्जिद के ट्रस्टियों […]

Dharavi Masjid Vivad
inkhbar News
  • Last Updated: September 21, 2024 16:44:11 IST

मुंबई: मुंबई के धारावी क्षेत्र में बीएमसी की टीम शनिवार शुभानिया मस्जिद के अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए पहुंची, जिस कारण सुबह से ही विवाद की स्थिति बनी हुई है. हालांकि स्थानीय निवासियों के विरोध के चलते मस्जिद को गिराने के लिए आठ दिन का समय दिया गया। इस बीच मस्जिद के ट्रस्टियों ने बीएमसी को पत्र लिखकर खुद ही अवैध निर्माण को हटाने के लिए चार से पांच दिन का समय मांगा है। आइए समझते हैं कि इस मस्जिद को लेकर विवाद क्या है और बीएमसी द्वारा कार्रवाई क्यों की जा रही है।

मस्जिद कमेटी का क्या कहना

मस्जिद कमेटी का कहना है कि इस मस्जिद का रजिस्ट्रेशन 1984 में चैरिटी कमिशन के तहत किया गया था। उस समय मस्जिद का केवल एक बेसिक ढांचा था। कुछ सालों बाद मस्जिद की छत से मिट्टी गिरने लगी, जिसके कारण मस्जिद कमेटी ने बीएमसी से मरम्मत की अनुमति मांगी, लेकिन बीएमसी ने इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बावजूद ट्रस्ट ने बिना अनुमति के मस्जिद में निर्माण कार्य शुरू कर दिया, जिससे अब मस्जिद में दो मंजिलें और गुंबद बन चुके हैं।

बीएमसी में शिकायत दर्ज

2023 में मस्जिद के इस अवैध निर्माण को लेकर बीएमसी में शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके बाद बीएमसी ने मस्जिद को नोटिस जारी किया। बीएमसी यह जानना चाहती थी कि मस्जिद में कितना अवैध निर्माण किया गया है, इसलिए उसने सर्वे का फैसला लिया। मस्जिद कमेटी ने बीएमसी के नोटिस के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है, जो फिलहाल कोर्ट में लंबित है।

पुनर्विकास के तहत

मस्जिद के ट्रस्टियों का कहना है कि धारावी के अन्य ढांचों की तरह यह मस्जिद भी धारावी पुनर्विकास प्राधिकरण (DPR) के तहत आती है। 12 सितंबर को DPR ने मस्जिद का सर्वे किया, जिससे ट्रस्टियों ने सवाल उठाए कि अगर जमीन बीएमसी के अधिकार क्षेत्र में है, तो DPR ने सर्वे कैसे किया। बीएमसी के नोटिस के बाद मस्जिद कमेटी द्वारा कलेक्टर कार्यालय में भी अपील दायर की थी।

फिलहाल मस्जिद के ट्रस्टियों ने बीएमसी से समय की मांग की है ताकि वे खुद अवैध निर्माण को हटा सकें। वहीं बीएमसी की कार्रवाई को कुछ समय के लिए रोका जा सके।

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