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DELHI MCD: दिल्ली में अब होगा एक नगर निगम, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी मंजूरी

नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022, जिसे पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा ने बजट सत्र में पारित किया था, इस बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल गई है. इसके बाद अब राजधानी में दिल्ली नगर निगम अस्तित्व में आ गया है. अब उत्तर, पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम नहीं बल्कि […]

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  • Last Updated: April 19, 2022 11:37:09 IST

नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022, जिसे पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा ने बजट सत्र में पारित किया था, इस बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल गई है. इसके बाद अब राजधानी में दिल्ली नगर निगम अस्तित्व में आ गया है. अब उत्तर, पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम नहीं बल्कि दिल्ली नगर निगम होगा. जिससे तीन की जगह एक मेयर और तीन नगर आयुक्त की जगह एक नगर आयुक्त होगा.

कब होंगे चुनाव

वहीं जानकारों की मानें तो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद, बिल के कानून का रूप लेने के बाद दिल्ली के तीनों नगर निगमों के एकीकरण के लिए सीमा निर्धारण की प्रक्रिया की जाएगी. सीमा निर्धारण की प्रकिया पूरी होने के बाद दिल्ली नगर निगम के चुनाव होंगे.

इसलिए लिया फैसला

दस साल 18 दिन बाद अब निगम अपने पुराने स्वरूप में होगा. वर्ष 2011 में, दिल्ली विधान सभा ने दिल्ली नगर निगम को तीन निगमों में विभाजित किया. जिसमें पूर्वी और उत्तरी के साथ दक्षिणी निगम का गठन किया गया था. खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रही केंद्र सरकार ने अपनी हालत सुधारने के लिए तीनों निगमों का विलय करने का फैसला किया था.

कर्मचारियों में खुशी की लहर

एमसीडी कर्मचारी संघों के संयोजक एपी खान ने निगम के विलय पर खुशी जताई है.एपी खान ने कहा कि इससे तीनों नगर निगमों के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन की समस्या का समाधान हो जाएगा. हम लगातार केंद्र सरकार से इस संबंध में कदम उठाने की मांग कर रहे थे. तीन साल तक हमने इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई ज्ञापन भेजे थे.

नगर निगम शिक्षक संघ के महासचिव राम निवास सोलंकी ने कहा कि हम केंद्र सरकार के आभारी हैं कि उन्होंने हमारी समस्या को समझा. अब निगम के पास ज्यादा ताकत होगी, जिससे कर्मचारियों को परेशान होने की जरूरत नहीं होगी. हमारी मांग थी कि तीनों निगम एक हो जाएं. जो केंद्र सरकार ने किया. इससे जो अतिरिक्त खर्च हो रहा था, वह भी बच जाएगा. साथ ही वेतन और पेंशन मिलने में देरी की समस्या भी खत्म हो जाएगी. हमने छह महीने की देरी से वेतन आने की स्थिति देखी है.आलम यह हो गया था कि कोई भी बैंक निगम कर्मचारियों को कर्ज देने को तैयार नहीं था.

 

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