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उत्तर प्रदेश की यह दरगाह है भाईचारे की मिसाल, जहां हिंदू और मुसलमान साथ खेलते हैं होली

बाराबंकी/लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में स्थित सूफी संत हजरत वारिस अली शाह की दरगाह पूरी दुनिया में मशहूर है. इस दरगाह पर होली के दिन हिंदू और मुस्लिम का आपस में मिलकर होली खेलना यह बताता है कि रंगों का कोई मजहब नहीं होता है. बल्कि रंगों की यह खूबसूरती हमेशा ही हर किसी […]

(Mazar of Sufi saint Haji Waris Ali Shah)
inkhbar News
  • Last Updated: March 25, 2024 19:06:14 IST

बाराबंकी/लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में स्थित सूफी संत हजरत वारिस अली शाह की दरगाह पूरी दुनिया में मशहूर है. इस दरगाह पर होली के दिन हिंदू और मुस्लिम का आपस में मिलकर होली खेलना यह बताता है कि रंगों का कोई मजहब नहीं होता है. बल्कि रंगों की यह खूबसूरती हमेशा ही हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है. हर साल की तरह इस साल भी गुलाब और गुलाल के साथ हिंदू और मुस्लिम सभी धर्मों के लोगों ने एक साथ मिलकर होली खेली है. लोगों ने दूसरे को रंगों के साथ गुलाल लगाकर फूलों के साथ होली खेलकर आपसी भाईचारे की मिसाल पेश की है.

होली की परंपरा सूफी संत के जमाने से है कायम

ऐसा मानना है कि बाराबंकी में स्थित इस दरगाह पर होली खेलने की परंपरा सूफी संत वारिस अली के जमाने से ही शुरू हुई थी. जिसको लोगों ने आज भी कायम रखा हुआ है. होली के दिन वारिस अली शाह बाबा से प्यार करने वाले लोग गुलाब व गुलाल के फूल लेकर आते थे. इस दौरान गुलाब व गुलाल को लोग बाबा के कदमों में रखकर होली खेलते थे. उसी समय से लोग देवा शरीफ के कौमी एकता गेट से लोग नाचते गाते जूलूस निकालते हैं.

जूलूस देवा कस्बे के कौमी एकता गेट से दरगाह तक

यह जूलूस हर साल देवा कस्बे से होता हुआ दरगाह तक पहुंचता है, जहां लोग दरगाह के प्रांगड में एक साथ होली खेलते हुए हवा में रंग उछालकर एक साथ छूते हैं. हिंदू मुस्लिम सभी धर्मों के लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाते हैं और एक दूसरे को गुलाब भी देते हुए होली की मुबारकबाद देते हैं.

ब्रिटिश राज में भी यह परंपरा बरकरार रही

दरगाह शरीफ में होली खेलने आए लोगों ने बताया कि यहां होली खेलने की परंपरा सदियों पुरानी है और यह बिटिश राज से ही ज्यों को त्यों चली आ रही है. यहां होली गुलाब और गुलाल के साथ खेली जाती है. देश के कोने-कोने से सभी धर्मों के मानने वाले के लोग आते हैं. सभी लोग यहां एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर भाईचारे का संदेश पूरे देश को देते हैं. वारसी होली कमेटी देवा के अध्यक्ष शहजादे आलम वारसी ने कहा कि दरगाह पर होली काफी पुराने समय से होती आयी है. होली में यहां कई कुंतल गुलाब और गुलाल के साथ होली लोग खेलते हैं. इसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं.